हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " तर्जुमा फुर-ए काफी" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامیر المومنین علیہ السلام
زُورُوا مَوْتَاكُمْ فَإِنَّهُمْ يَفْرَحُونَ بِزِيَارَتِكُمْ وَ لْيَطْلُبْ أَحَدُكُمْ حَاجَتَهُ عِنْدَ قَبْرِ أَبِيهِ وَ عِنْدَ قَبْرِ أُمِّهِ بِمَا يَدْعُو لَهُمَا
हज़रत इमाम अली (अ.स.)ने फरमाया:
अपने मरहूमीन की कब्रों की ज़ियारत करो, क्योंकि वह आप की ज़ियारत से खुश होते हैं और तुम्हें चाहिए कि अपने मां-बाप की कब्रों पर इनके लिए दुआ करते वक्त अपनी ज़रूरतों के पूरा होने के लिए भी दुआ किया करो।
तर्जुमा फुर-ए काफी,भाग 1,पेंज 513