۵ آذر ۱۴۰۳ |۲۳ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 25, 2024
मौलाना मुनव्वर रज़ा

हौज़ा / हर युग में ऐसे लोग रहे हैं जिनका धर्म और आस्था अस्थायी थी जैसे कि हमीद बिन क़हतबा कि उसने अपनी दुनिया के लिए धर्म का सौदा किया और 60 निर्दोष सादात के खून से अपना हाथ रंगीन किया जिसके नतीजे में बंदगी से महरूमी और अबदी तबाही उसका मुकद्दर बनी।जनाबे बोहलोल जैसे दीनदारों ने इताअते इमाम में मसनदे इल्म व फकाहत को खैर बाद कहा,अपनी दुनयवी इज़्ज़त व एहतेराम की कुर्बानी दी, लोगों ने मज़ाक उड़ाया लेकिन अबदी इज़्ज़त, फज़ीलत, करामत और शराफ़त उनका मुकद्दर बन गई। 

हौज़ा न्यूज़ की रिपोर्ट अनुसार,  लखनऊ:सातवें इमाम हज़रत बाबुल हवाएज इमाम मूसा काज़िम अ.स.की शहादत के मौके पर जामिया इमामिया तनज़ीमुल मकातिब में ऑनलाइन  जलसा ए सीरत आयोजित किया गया।मौलवी सय्यद मीसम रज़ा मूसवी ने कुरान करीम की तिलावत से जलसे सीरत की शुरूआत की। उसके बाद मौलवी नजीब हैदर ने इमाम मूसा काज़िम अ.स. की ज़ियारत तर्जुमे के साथ पढ़ी।
मौलवी मोहम्मद तबरेज़ और मौलवी सय्यद मोहम्मद फहीम ने बारगाहे इमामत में मंज़ूम नज़राना ए अकीदत पेश किया।
मौलवी सय्यद सफी हैदर और मौलवी मोहम्मद सादिक ने तकरीर की जिसमें हज़रत इमाम मूसा काज़िम अ.स. के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
मौलाना सय्यद अली हाशिम आबिदी उस्ताद जामिया इमामिया ने कहा कि इमाम मूसा काज़िम अ.स. ने अपने सहाबी यूनुस को नसीहत फरमाई कि यह दुआ ज़्यादा से ज़्यादा किया करो''खुदाया! मुझे वक्ती और कम ईमान वालो में से क़रार न दे और कभी भी मुझे अपनी कोताहियों के इकरार करने वालो से अलग न कर।"
वक्ती ईमान जैसा कि हज़रत इमाम हुसैन अ.स.ने फरमाया: लोग दुनिया के बंदे हैं और दीन उनकी ज़बान का लक़लक़ा है ये लोग उस वक्त तक दीन का दम भरते हैं जब तक कि उनकी दुनिया खतरे में न हो लेकिन जब परेशानियां सामने होती है तो दीनदारो की तादाद बहुत कम हो जाती है। हर युग में ऐसे लोग रहे हैं जिनका धर्म और आस्था अस्थायी थी जैसे कि हमीद बिन क़हतबा कि उसने अपनी दुनिया के लिए धर्म का सौदा किया और 60 निर्दोष सादात के खून से अपना हाथ रंगीन किया जिसके नतीजे में बंदगी से महरूमी और अबदी तबाही उसका मुकद्दर बनी।जनाबे बोहलोल जैसे दीनदारों ने इताअते इमाम में मसनदे इल्म व फकाहत को खैर बाद कहा,अपनी दुनयवी इज़्ज़त व एहतेराम की कुर्बानी दी, लोगों ने मज़ाक उड़ाया लेकिन अबदी इज़्ज़त, फज़ीलत, करामत और शराफ़त उनका मुकद्दर बन गई। 

मौलाना सय्यद मुनव्वर हुसैन रिज़वी प्रभारी जामिया इमामिया ने कहा कि इमामत अल्लाह का इंतेखाब है विरासत नहीं है,इमाम मूसा काज़िम अ.स.से पहले  बड़े बेटे ही इमाम हुए लेकिन इमाम जाफर सादिक अ.स. के बड़े बेटे जनाबे इस्माइल की वालिद की ज़िंदगी में ही वफात हो गई थी और उनकी इमामत के कायल छे इमामी कहलाए,उसके बाद अब्दुल्लाह अफ्तह थे चुकीं न वो खुदा के चुने हुए थे और न बेऐब थे इसलिए वह भी इमाम नहीं हो सकते थे इमाम मूसा काज़िम अ.स. मासूम और साहिबे कमाल थे,खुद इमाम जाफर सादिक अ.स. ने उनकी इमामत का एलान किया। इमाम मूसा काज़िम अ.स. ने अपने वालिद इमाम जाफर सादिक अ.स. और जद्दे बुज़ुर्गवार इमाम मोहम्मद बकिर अ.स. के कायम करदा निज़ामे तालीम की पासबानी की और असहाब की तरबियत फरमाई जब हारूने अब्बासी ने आपकी इमामत पर एतेराज़ किया तो आपने फ़रमाया:मैं दिलो पर इमामत करता हूं और तुम जिस्मों पर हुकूमत करते हो।

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