बुधवार 21 जुलाई 2021 - 18:28
अपनी ज़ात की नफ़ी करना ही क़र्बानी का वास्तविक अर्थ है, सैयदा ज़हरा नकवी

हौज़ा / ईदुल-अज़हा के मौके पर पंजाब विधानसभा सदस्य और केंद्रीय महासचिव मजलिस-ए-वहदत-ए-मुसलमीन, महिला विभाग सैयदा ज़हरा नकवी ने कहा कि ईदुल-अज़हा मुसलमानों को यह सिखाती है कि वे इसे मनाने में संकोच न करें। उनकी आस्था और देश के लिए सबसे बड़ी क़ुर्बानी का सही अर्थ अपनी ज़ात को नकारना है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर/ ईदुल-अज़हा के मौके पर पंजाब विधानसभा सदस्य और केंद्रीय महासचिव मजलिस-ए-वहदत-ए-मुसलमीन, महिला विभाग सैयदा ज़हरा नकवी ने कहा कि ईदुल-अज़हा मुसलमानों को यह सिखाती है कि वे इसे मनाने में संकोच न करें। उनकी आस्था और देश के लिए सबसे बड़ी क़ुर्बानी का सही अर्थ अपनी ज़ात को नकारना है।

उन्होंने कहा कि पैगंबर इब्राहिमी को श्रद्धांजलि देने के इस महान अवसर पर हमें व्यक्तिगत हितों पर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए और बेहद कठिन परिस्थितियों में रहने वालों की खुशी में हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अल्लाह ताला मातृभूमि के सभी लोगों को अपनी देखभाल और हिफ्ज़ व आमान में रखें और उन्हें सांसारिक और अन्य सुखों का आशीर्वाद दें।

 उन्होंने आगे कहा कि प्रिय देश आतंकवाद और प्राकृतिक आपदाओं सहित कई समस्याओं का सामना कर रहा है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, हमें आत्म-बलिदान, भाईचारे, करुणा और धार्मिक सहिष्णुता, शांति और मेल-मिलाप और प्रेम की भावना का पालन करने की आवश्यकता है। नैतिक मूल्य पहले से कहीं अधिक हैं।

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