۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
अल्लामा शहंशाह नकवी

हौज़ा / नवासा ए रसूल इमाम हुसैन उस बाग़े नबूवत व इमामत के फूल है। ये उन्ही के ग़म के दिन हैं। अल्लाह और हुसैन के बीच एक रिश्ता है जो अपनी मिसाल आप है जितना हम हुसैन हुसैन करेंगे उतना ही अल्लाह अल्लाह होगा अज़ादारी ए सैय्यदुश्शोहदा का यही फ़लफ़सा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार / पाक मुहर्रम एसोसिएशन के तत्वावधान में नश्तर पार्क में मरकज़ी अशरा ए मुहर्रम की दूसरी मजलिस को संबोधित करते हुए देश के जाने-माने धार्मिक विद्वान और खतीब अल्लामा सैयद शहंशाह हुसैन नकवी ने कुरान की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अमीर-उल-मोमिनीन हज़रत अली (अ.स.) का पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) के बाद सबसे अफ़ज़ल होना रोज़े रोशन की तरह अयां है।

उन्होंने कहा कि मौला ए मुत्तक़यान की फ़ज़ीलत का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि पवित्र क़ुरआन ने आपको आयते मुबाहेला मे नफ़्से रसूल बताया है कि यानि जाने रसूल, रसूल जैसा, ख़लिक जब अपने प्राणियों (मख़लूक) के बारे में बात करता है और ख़लीक जब अपने प्राणियों के फ़ज़ाइल ओ मनाकिब को बयान करता है तो सबसे अज़ीम मखलूक जिसकी प्रशंसा करने का ईश्वर को अधिकार है, उसे मुहम्मद (स.अ.व.व.) या अली (अ.स.) कहा जाता है।

आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि नवासा ए रसूल इमाम हुसैन उस बाग़े नबूवत व इमामत के फूल है। ये उन्ही के ग़म के दिन हैं। अल्लाह और हुसैन के बीच एक रिश्ता है जो अपनी मिसाल आप है जितना हम हुसैन हुसैन करेंगे उतना ही अल्लाह अल्लाह होगा अज़ादारी ए सैय्यदुश्शोहदा का यही फ़लफ़सा है।

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