हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. कि वफात और हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत के दिन है और उसी मुनासिबत से इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता की उपस्थिति में तेहरान के इमाम खुमैनी इमामबारगाह में मजलिस का आयोजित किया गया था
मजलिस को हुज्जतुल इस्लाम मौलाना मसूद आली के पड़ी, उन्होंने मजलिस को खिताब करते हुए पैग़ंबरे इस्लाम को सबसे बड़ी नेमत कहां हज़रत रसूल अल्लाह की ज़ाते गेरामी का सबसे अच्छा पहचान करना आने वाला अल्लाह ताला है। जिसने कुराने करीम में अपने पैगंबर को लोगों में से लोगों के दरमियान से हमदर्द, लोगों की हिदायत का बहुत ज़्यादा रहम दिल अब मेहरबान बताकर पहचान कराई है।
इस मजलिस में जनाब सलाह शुर साहब ने मसायेब पड़े और नैहा भी पढ़े जिसको सुनने के बाद लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े