۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
مولانا کلب جواد نقوی

हौज़ा / अज़ादारी सभी मुसलमानों द्वारा बिना किसी भेदभाव के मनाई जाती है, हालांकि, कुछ नासेबी हौ जो एक समूह (जमात) से संबंधित हैं, वे अहलेबैत की दुश्मनी में अज़ादारी से दूर हैं। अन्यथा, अहलेसुन्नत वल जमात के बहुमत अज़ादारी ए इमाम हुसैन कर रहे हैं । इमाम हुसैन का शोक मनाने वाले सभी अज़ादारी करने वालों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए ध्यान रखना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने लखनऊ में मुहर्रम की दूसरी मजलिस को संबोधित करते हुए इमाम बड़ा ग़ुफ़रान मआब मे अज़ादारी के महत्व पर चर्चा की। मौलाना ने कहा कि अज़ादारी सभी मुसलमानों द्वारा बिना किसी भेदभाव के मनाई जाती है। एक समूह हौ जो अहलेबैत की दुश्मनी में अज़ादारी से दूर हैं। अन्यथा, अहले सुन्नत वल जमात के बहुमत इमाम हुसैन का शोक मना रहे हैं। इसलिए, हमारे सभी ज़ाकेरीन और ख़ुत्बा इस बात का ध्यान रखें कि इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों का सम्मान करें। मौलाना ने  के दौराने मजलिस अज़ादारी के महत्व और मजलिस-ए-अश्क-ए-अज्जा की महानता का भी उल्लेख किया। मौलाना ने कहा जब किसी जगह मजलिस होती है उसमे चाहे कितनी ही कम संख्या मे अज़ादार भाग लें अल्लाह फ़रिश्तो को हुक्म देता है वहा जाकर मजलिस मे शिरकत करें और अज़ादारो की आंखो से जो आंसू बहें उनको इकट्ठा करें और वापस आएं और इन आँसुओं को हौज़े कौसर मे मिलाए ताकि हौज़े कौसर की लताफत और बढ़ जाए।

मौलाना ने पैगंबर की हदीसों के आलोक में समझाते हुए कहा कि इमाम हुसैन की शहादत उम्मत के लिए मोक्ष का साधन है। अल्लाह ने उसे हिमायत का अधिकार दिया है और अल्लाह ने इस उम्मत पर जो भी आशीर्वाद दिया है, उसका कारण है इमाम हुसैन मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन बाहर और अंदर दोनों तरह से जीते हैं और यज़ीद हर मोर्चे पर हारा हैं। यह कहना गलत और निराधार है कि इमाम हुसैन अंदर से जीते हैं और यज़ीद बाहर से जीता हैं। कर्बला के इतिहास और यज़ीद के उद्देश्य का अध्ययन ज़रूर करें । क्योंकि यज़ीद का उद्देश्य था कि हुसैन उसके प्रति निष्ठा की शपथ लें। मजलिस के इखतेताम पर मौलाना ने इमाम हुसैन के कर्बला में आगमन का वर्णन किया और इमाम की शहादत का भी संक्षेप में उल्लेख किया।

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