हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,यह मजलिस हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सिद्दीक़ी ने पढ़ी। उन्होंने पैग़म्बरों और उनके उत्तराधिकारियों की तरफ़ से लोगों को सीधे रास्ते पर बुलाए जाने के दो पहलू बताए। एक तौहीद यानी एकेश्वरवाद की तरफ़ बुलाना और दूसरे उन बुराइयों से दूरी जो इंसान को अल्लाह के ख़िलाफ़ सरकश बना देती हैं।
उन्होंने कहा कि यह उसूल बताता है कि धार्मिक शासन ज़रूरी है क्योंकि एक अल्लाह को मानने वाले समाज का क़ायम होना और बुरे व सरकश शासनों का ख़त्म होना, धार्मिक शासन के क़ायम होने पर निर्भर है।
इस मजलिस में क़ारी क़ासिम रज़ीई ने पहले पवित्र क़ुरआन की कुछ आयतों की तिलावत की और फिर मुर्तज़ा ताहेरी ने इमाम हुसैन का मर्सिया और उनके मसाएब पढ़े।