۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
मौलाना महफूज मशहदी

हौज़ा / किसी व्यक्ति को अभिव्यक्ति और धर्म की स्वतंत्रता से वंचित करना अमानवीय और अनैतिक होगा। 18 वर्ष की आयु निर्धारित करना किसी भी स्थिति मे स्वीकार्य नहीं है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर / जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान (सवाद आजम) के केंद्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद मोहम्मद महफूज मशहदी और जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान (जेयूआई-एफ) के महासचिव पीर सैयद मोहम्मद इकबाल शाह ने स्पष्ट किया है कि इस्लाम धर्म स्वीकारने में आयु की सीमा निर्धारित करने का निर्णय इस्लाम के बढ़ावे में बाधा और धर्म मे हस्तक्षेप होगा। ऐसी सत्तावादी सोच अज्ञानता और बाहरी आकाओं को खुश करने की एक युक्ति है। अवैध निर्णय, विशेष रूप से इज़राइल को खुश करने के लिए, लोगों पर थोपने की किसी भी साजिश को विफल कर देंगे।

उन्होंने कहा कि लड़के और लड़की के यौवन को साबित किया जाना चाहिए उसके लिए शरियत के तक़ाज़े मौजूद हैं। 18 वर्ष की आयु निर्धारित करना किसी भी मामले में स्वीकार्य नहीं है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित करने और धर्म में परिवर्तन करने का एक अमानवीय और अनैतिक तरीका होगा। अगर कोई मुस्लिम लड़की किसी लड़के को कोर्ट में शादी का बयान देती है, तो उसे कोर्ट में स्वीकार कर लिया जाता है, लेकिन अगर कोई गैर-मुस्लिम लड़की किसी मुस्लिम लड़के से शादी का बयान देती है, तो कोर्ट उसे मान लेती है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए मौलाना महफूज मशहदी ने कहा कि इस्लाम में धर्मांतरण के लिए उम्र निर्धारित करने का संभावित कानून इस्लाम के प्रसार को रोकने के समान होगा, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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