हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुबारकपुर, आजमगढ़ / हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके 72 साथीयो की कर्बला, इराक में हुई दर्दनाक शहादत का शोक मनाते हुए शोहदा ए हक की कब्रो, दरगाह, ताबूत आदि और ज़ुल जिन्ना, आदि निकालते हैं। उन सभी को "ताज़िया" कहा जाता है। ताज़िये का शरई हुक्म ऐसा ही है जैसे मस्जिदो का काबातुल्लाह के लिए सम्मान करने का है और अल्लाह के संस्कारों में शामिल हैं। या वह जुज़्दान जिसे कुरान से अधिक सम्मानजनक माना जाता है इसी तरह इमाम हुसैन (अ.स.) और कर्बला के अन्य शहीदों और इमामों (अ.स.) जैसे इमामबाड़ा, दरगाह, अज़ादारी आदि के लिए भी शोक संवेदनाएं भी अल्लाह के प्रतीक हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ब्रह्मांड को प्रसन्न करने के लिए इसकी अनुमति है। अज़ादारी शिया राष्ट्र और धर्म की आत्मा है।
ये विचार मजमा ए उलेमाओ वाएज़ीन पूर्वांचल सदस्य हसन इस्लामिक रिसर्च सेंटर अमलो, मुबारकपुर के संरक्षक और संस्थापक मौलाना इब्न हसन अमलवी, मदरसा बाबुल इल्म मुबारकपुर के प्रिंसिपल मौलाना मजाहिर हुसैन मोहम्मदी, शाह मुहम्मदपुर मुबारकपुर के इमाम जुमा और जमात मौलाना इरफान अब्बास द्वारा व्यक्त किए गए थे। जामिया इमाम मेहदी आजमगढ़ के प्राचार्य सैयद सुल्तान हुसैन, आजमगढ़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मौलाना सैयद मोहम्मद मेहदी, हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रमुख मौलाना नाज़िम अली वाइज़, जावेद हुसैन नजफ़ी मुबारकपुरी, मौलाना करर हुसैन अज़हरी उस्ताद मदरसा बाब-उल- आलम मुबारकपुर, मौलाना डॉ मुजफ्फर सुल्तान तुराबी अध्यक्ष अल यासीन वेलफेयर एंड एजुकेशनल ट्रस्ट मुबारकपुर, मौलाना मुहम्मद मेहदी हुसैनी उस्ताद मदरसा बाब-उल-आलम मुबारकपुर ने एक संयुक्त विरोध और निंदा बयान में अखबार के लिए जारी किया है।
बयान में आगे कहा गया है कि अज़ादारी के मूल्य और उसमें छिपे इसके अनमोल सार के कारण यह स्वाभाविक है कि दुश्मन इसे विकृत करने के लिए नई योजनाएँ तैयार करते हैं।
मुंबई से हमारे ईमानदार दोस्त सैयद अफजल इमाम आज़मी एडवोकेट हाई कोर्ट मुंबई की रिपोर्ट के अनुसार, यह फिल्म उसी नापाक योजना की एक ताजा कड़ी लगती है। "यह एक बहुत ही आपत्तिजनक पहलू है और यह मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं और विश्वासों सामान्य तौर पर और विशेष रूप से शिया मुसलमान को आहत करता है।"
फिल्म का निर्देशन कला फिल्म निर्देशक मीरा नायर ने किया है और शमित अमीन ने तब्बू, ईशान खट्टर और अन्य को कास्ट किया है। इसलिए, हम मुंबई फिल्म उद्योग का विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि इमाम हुसैन (अ.स.) की अज़ादारी को बदनाम करने के प्रयासो से बचा जाए और गाने बजाने की शक्ल मे नौहा पढ़ना "आजा मेरे हुसैन" आदि ऐसी हृदय विदारक और हास्यास्पद कल्पना और अभिनय से बिलकुल परहेज किया जाए।