हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुबारकपुर, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) / प्रसिद्ध फ़ारसी की कहावत है "पाप का बहाना, पाप से भी बदतर है" और अरबी में यह "अल उज़रो अक़बाह मिन्नज़्ज़म्ब" है जिसका अर्थ है पाप का बहाना पेश करना कभी कभी पाप से भी बदतर होता है। ऐसी कौन सी संस्था या कौन सा ऐसा शिया है जिसने शापित वसीम का विरोध नहीं किया हो और उसे इस्लाम से निष्कासित नहीं माना हो। इसके अलावा, यदि यह अपराध एक शिया राष्ट्र होने के कारण पूरे देश का है, तो आपके पूरे समाज को इस अपराध में शामिल माना जाना चाहिए क्योंकि सलमान रुश्दी और तसलीमा नसरीन ने कुरान के खिलाफ ईशनिंदा की और ईशनिंदा का अपराध किया। बल्कि इस जघन्य कृत्य की शुरुआत इसी वर्ग से हुई और ऐसे मामले में सूप को चलनी पर हंसने का अधिकार कहां रह जाता है। जबकि पूरी दुनिया इस बात की साक्षी है कि ऐसे मुजरिम और अपराधि के खिलाफ साहसिक कार्रवाई दसियों इस्लामी देशों के बावजूद इमाम ख़ुमैनी ने अपने फ़त्वे के माध्यम से की पूर्णरूप से शिया इस्ना अश्री का सबूत है।
ये विचार हसन इस्लामिक रिसर्च सेंटर अमलो, मुबारकपुर के संस्थापक और संरक्षक मौलाना इब्न हसन अमलवी, बाबुल इल्म मुबारकपुर के प्राचार्य मौलाना मजाहिर हुसैन मोहम्मदी, जामिया हैदरया के प्रमुख मौलाना नाज़िम अली द्वारा व्यक्त किए गए थे। जामिया इमाम मेहदी आजमगढ़ के प्रिसिपल मौलाना सैयद सुल्तान हुसैन , जामिया इमाम जाफर सादिक जौनपुर के प्रधानाचार्य मौलाना सैयद सफदर हुसैन जैदी , शाह मुहम्मदपुर मुबारकपुर के इमामे जुमआ वल जमाअत मौलाना इरफान अब्बास , मौलाना सैयद हुसैन जफर वहाब सैयद मोहम्मदाबाद गोआत, जामिया इमाम मेहदी आजमगढ़ के अध्यापक मौलाना सैयद मोहम्मद मेहदी , मदरसा बाब-उल-आलम मुबारकपुर के शिक्षक मौलाना मोहम्मद मेहदी हुसैनी, और मौलाना कर्रार हुसैन अजहरी, अल यासीन वेलफेयर एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौलाना डॉ. मुजफ्फर सुल्तान तुराबी, उल-कलम वेलफेयर एंड एजुकेशनल ट्रस्ट मुबारकपुर के अध्यक्ष मौलाना गुलाम पंजतान मुबारकपुरी, , मौलाना आरिफ हुसैन मुबारकपुरी, मौलाना जावेद हुसैन नजफी मुबारकपुरी, मदरसा हुसैनिया बड़ा गांव घोसी माओ के प्रबंधक मौलाना काजिम हुसैन, एलिया रिसर्च मिशन मुबारकपुर के संरक्षक मौलाना मुहम्मद रजा, मौलाना अकबर अली वैज जलाल पुरी इमाम जुमा और जमात मीरानपुर अकबरपुर मौलाना लाना मेहदी हसन वैज जलाल पुरी, मौलाना रईस हैदर वाइज़ जलाल पुरी, अखिल भारतीय शिया समाज के महासचिव मौलाना सैयद इतरत हुसैन वाइज़ आज़मी, जामिया नाज़िमिया लखनऊ के शिक्षक ने शापित शकील अहमद द्वारा अभिमानी इमाम मेहदी के अपमान मे एक और हालिया वीडियो जिसमे क्षमा मांगने के बजाए मज़ीद तोहमत लगाई है जवाब में एक संक्षिप्त संयुक्त बयान में कहा।
बयान में आगे कहा गया है कि शकील अहमद ने माफी मांगने के बजाय शिया स्कूल पर और हमला करने की हिम्मत की है, जो कि एक बदतर पाप का बहाना है. जबकि वे खुद सवाल कर रहे हैं कि आपने इन दोनों व्यक्तियों (रुश्दी और तसलीमा नसरीन) को अपने विचारधारा के सुन्नी समुदाय से निष्कासन की घोषणा कहां और कब की? जबकि आपने कहा कि शिया समुदाय के एक सदस्य ने ऐसा किया है जोकि सत्य पर भी आधारित नहीं है और हमने सच बोला है और हम तुम्हारे इमाम की बात करेंगे और तुम्हारी किताब से ही बात करेंगे। पहले तो आप अपनी अज्ञानता का द्वारा बंद करे जिस किताब का नाम ले रहे है इस किताब मे वाक्य बरहैना का आफताब उस कस्र की विशेषता है ना कि नाऊज़ो बिल्लाह इमाम के बरहैना ज़ाहिर होने की। आपकी आदत है बिना समझे हुए रट कर पढ़ने की नाकि खुली आंखों से पढ़ने की आप किताबे किबरिया पढ़ते है ना कि शिया संप्रदाय की किताब। दूसरी बात अगर गाली से कोई अपनी जुबान गंदी करे तो इसका क्या मतलब है कि हम भी अपनी जुबान को गंदी बना ले? जहाँ तक सच्चाई का सवाल है, मैंने आपके यहा कई अवलोकन देखे हैं कि आप पैगंबर (स.अ.व.व.) का तो सम्मान करते हैं, लेकिन पैगंबर के वंशज का नहीं। लिखने को तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है मगर जवाबे जाहेलाना के मुहावरे का पालन करते हुए इतना ही पर्याप्त है
अंत में आश्चर्य और खेद व्यक्त किया गया कि जिस तरह शापित वसीम के खिलाफ कोई ठोस कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है, शकील मर्दूद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अतः केंद्रीय और राज्य सरकारो से निवेदन है कि इन देशद्रोहियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाए।