हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहरूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول الله صلى الله عليه و آله وسلم
يا أَبَاذَرٍّ جَعَلَ اللَّهُ جَلَّ ثَنَاؤُهُ قُرَّةَ عَيْنِي فِی الصَّلَاةِ وَحَبَّبَ إِلَیَّ الصَّلَاةَ كَمَا حَبَّبَ إِلَى الْجَائِعِ الطَّعَامَ وَ إِلَى الظَّمْآنِ الْمَاءَ وَ إِنَّ الْجَائِعَ إِذَا أَكَلَ شَبِعَ وَ إِنَ الظَّمْآنَ إِذَا شَرِبَ رَوِیَ وَأَنَا لَا أَشْبَعُ مِنَ الصَّلَاةِ.
हज़रत रसूल अल्लाह स.अ.व.व. ने फरमाया:
ए अबूज़र अल्लाह तआला ने मेरी आंखो के नूर को नमाज़ में करार दिया है, और मुझे इसका इस तरह ग़िरवीदा बनाया हैं,जिस तरह भूखे को खाना और प्यासे को पानी से मोहब्बत होती है लेकिन भूखा जब खाना खा लेता है तो वह सेर हो जाता है और प्यासा जब पानी पी लेता है तो वह संतुष्ट भी हो जाता है, लेकिन मैं नमाज़ से कभी संतुष्ट नहीं होता।
बिहरूल अनवार,भाग 74,पेंज 80