हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " बिहरूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الحسن علیہ السلام
عَـجِبْتُ لِمَنْ يَتَفَكَّـرُ فى مَـأْكُولِهِ كَيْـفَ لا يَتَفَـكَّـرُ فى مَعْـقُـولِهِ، فَيُجَنِّبُ بَطْنَهُ ما يُؤْذيهِ، وَ يُودِعُ صَدْرَهُ ما يُرْدِيهِ
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
मुझे उस आदमी पर ताज्जुब है जो अपने खाने के बारे में तो सोचता है और गौर करता है,लेकिन वह अपनी बौद्धिक और तर्कसंगत ज़रूरतों पर विचार नहीं करता है।वह इस चीज़ से तो बचता है जो उसके मेदे को तकलीफ पहुंचाती है लेकिन अपने सीने और दिल को बुरी चीज़ो से भर लेता है।
बिहरूल अनवार,भाग 1,पेंज 218