गुरुवार 17 फ़रवरी 2022 - 12:19
सफर में नज़री (उपवास) रोज़े रखने का हुक्म

हौज़ा/इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने,सफर में नज़री (उपवास) रोज़े रखने के हुक्म के बारे में एक सवाल के जवाब में निम्नलिखित बयान दिया गया है।

हौज़ा न्यूज एजेंसी के अनुसार , इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली खमेनेई ने,सफर में नज़री (उपवास) रोज़े रखने के हुक्म के बारे में एक सवाल का जवाब कुछ इस प्रकार से दिया है: जो धार्मिक मामलों में रुचि रखते हैं।


हज़रत अयातुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली खमेनेई से पूछे गए प्रन्न के उत्तर इस प्रकार है:


सवाल : अगर कोई शख़्स नज़र करे कि फलाह दिन जैसे माहें रजब कि प्रथम तारीख को रोज़ा रखूंगा और वह सफर पर हो तो क्या हुक्म है?


जवाब:अगर कोई शख़्स नज़र करे कि फलाह दिन जैसे माहें रजब कि प्रथम तारीख को रोज़ा रखूंगा और वह सफर पर हो तो सफर में ही क्यों ना इसे रोज़ा रखना चाहिए ,उसके लिए ज़रूरी नहीं है कि वह 10 दिन ठहेरने की नियत करें !


स्रोत: नमाज़ और रोज़ा,संदेश अंक 942

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