हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "मआनीयुल अखबार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
مَن لا يَعرِفُ لِأحَدٍ الفَضلَ فهُوَ المُعجَبُ بِرَأيِهِ؛
हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम फरमाया:
जो दूसरों के महत्व के बारे में आश्वस्त नहीं है वह मगरूर और खुदपसंद हैं।
मआनीयुल अखबार,भाग 2,पेंज 244