हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "लेयाली अखबार " पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول الله صلی الله علیه وآله وسلم
الضَّیفُ اذا دَخَلَ بَیتَ المُؤمِنِ دَخَلَ مَعَهُ اَلفُ بَركَةٍ وَ الفُ رحمةٍ وَ یَكْتُبُ اللهُ لِصاحِبِ المَنزِل بِكُلّ لُقمَةٍ یأكُلُها الضَّیفُ حَجةً و عُمرةً
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया:
मोमिन के घर में जब मेहमान दाखिल होता है तो वह एक हज़ार बरकते और एक हज़ार रहमते अपने साथ लाता हैं, और मेहमान जो एक निवाला खाता हैं अल्लाह तआला उसके बदले मेज़बान के नामए अमल में एक हज और एक उमरे लिख देता हैं।
लेयाली अखबार,भाग 3,पेंज 66