हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम हिदायत ने टीवी चैनलों "शमा" और "नूर" से "संडे फातिमी" नामक एक लाइव कार्यक्रम में बात करते हुए कहा: रिवायात मे बताया गया है कि "क़ुम अहलेबैत (अ.स.) का हरम है" और इस कारण से इमाम रज़ा (अ.स.) ने अपनी बहन के ज़ियारत नामे मे आइम्मा (अ.स.) को मौजूद और हाज़िर संबोधित किया है।
उन्होंने कहा: "ईरान में लगभग 6,000 इमाम ज़ादे हैं। इनमें से कुछ इमाम ज़ादे अहलेबैत (अ.स.) के पास मक़ाम रखते है जैसे हज़रत फ़ातिमा मासूम क़ुम (स.अ.) का एक उच्च स्थान है जिन्हें करीमा ए अहलेबैत (अ.स.) की उपाधि दी गई थी और जैसे हज़रत अब्दुल अज़ीम हसनी (अ.स.) की जिनकी ज़ियारत के सवाब को इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारत का सवाब बताया गया है।
हुज्जतुल इस्लाम हिदायत ने कहा: हज़रत फ़ातिमा मासूम क़ुम (स.अ.) को महान बनाने वाली चीजों में से एक यह थी कि उन्होने अपने इमाम की मदद के लिए मदीना छोड़ दिया और इस महान लक्ष्य की खोज में क़ुम में शहीद हो गई। इसी तरह हज़रत अब्दुल अज़ीम हसनी (अ.स.) को जिस चीज़ ने महानता दी, वह यह थी कि उन्होंने अपने जीवन को इमाम और अहलेबैत (अ.स.) की रक्षा करने मे कुरबान कर दिया।
उन्होंने आगे कहा: सभी इमामों में से, हमारे पास केवल तीन इमाम हैं जिनके लिए इमामों ने खुद तीर्थ यात्रा का उल्लेख किया है। उनमें से पहले हज़रत अब्बास (अ.स.) है, दूसरे हज़रत अली अकबर (अ.स.) और तीसरे हज़रत फ़ातिमा मासूमा क़ुम (स.अ.) है।