۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
मौलाना मीसम नक़वी

हौज़ा / लोग ख़ानदाने पैग़म्बर को सियासत के मैदान में हाज़िर समझे और यह गुमान न करे कि ख़ानदानें पैग़म्बर सिर्फ़ उलेमा व फ़ोक़हा है और यह लोग सियासत के मैदान में बिल्कुल नहीं है। इमाम रज़ा ने अपने उत्तराधिकारीता के दिनों में मामून का असली चेहरा तमाम लोगों के सामने बेनक़ाब कर दिया था।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के अमरावती मे जुमा की नमाज़ के बाद इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत पर मजलिसे अज़ा की गई जिसको इमामे जुमा वल जमाअत हुज्जतुल इस्लाम मौलाना मीसम नक़वी साहब ने खिताब किया और मजलिस मे इमाम के फज़ाएल मसाएब बयान किये गऐ और बयान किया गया कि इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने क्यो मामून की उत्तराधिकारीता को क़ुबूल किया और इस के कारणों को मौलाना ने कुछ इस तरह बयान किया|

1. इमाम रज़ा ने मामून के उत्तराधिकारी बनने को उस समय कु़बूल किया कि जब देखा कि अगर आप मामून की बात न मानेंगे तो ख़ुद अपनी जान से भी हाथ धो बैठेगें और साथ ही साथ शियों की जान भी ख़तरे में पड़ जायेगी अब इमाम ने अपने उपर लाज़िम समझा कि ख़तरे को ख़ुद और अपने शियों से दूर करे।

2. इमाम रज़ा का उत्तराधिकारी बनाया जाना भी एक तरह से अब्बासियों का यह मानना भी था कि अलवी (शिया) भी हुकूमत में एक बड़ा हिस्सा रखते हैं।

3. उत्तराधिकारीता क़ुबूल करने की दलीलों में से एक यह भी है लोग ख़ानदाने पैग़म्बर को सियासत के मैदान में हाज़िर समझे और यह गुमान न करे कि ख़ानदानें पैग़म्बर सिर्फ़ उलेमा व फ़ोक़हा है और यह लोग सियासत के मैदान में बिल्कुल नहीं है।

शायद इमाम रज़ा ने इब्ने अरफ़ा के सवाल के जवाब में इसी मतलब की तरफ़ इशारा किया है कि जब इब्ने अरफ़ा ने इमाम से पूछा कि ऐ रसूले ख़ुदा के बेटे आप किस कारण से मामून के उत्तराधिकारी बनें?
तो इमाम ने जवाब दियाः उसी कारण से कि जिसने मेरे जद अमीरूल मोमेनीन (अ.स.) को शूरा में दाखि़ल किया था।

4. इमाम ने अपने उत्तराधिकारीता के दिनों में मामून का असली चेहरा तमाम लोगों के सामने बेनक़ाब कर दिया था और उसकी नियत व मक़सद को उन कामों से कि जिन्हें वो अन्जाम दे रहा था, सब के सामने ला कर लोगों के दिलों से हर शक व शुब्हे को निकाल दिया था।

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