۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
ताजीयत नामा

हौजा / उस्ताद उल असातेज़ा शेख नजफी ने पैंतीस से अधिक वर्षों तक अपनी शिक्षण सेवाओं के दौरान, छात्रों के व्यक्तित्व का पोषण किया और उनके व्यक्तित्व को इस तरह से निखारा किया कि आज "ज़ो ज़र्रा जिस जगह है, वहीं आफताब है"। आज हम सभी को लगता है कि हम जो कुछ भी हैं उसमें उस्ताद उल असातेज़ा नजफी का बड़ा हाथ है।

हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जामीयातुल इमाम अमीरुल मोमेनीन (अ.स.), नजफी हाउस, क़ुम के छात्रों की अंजुमन-ए-मोहिब्बाने आले यासीन (अ.स.) ने उस्ताद उल असातेज़ा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन शेख मुहम्मद अली नजफी ताबा सरा के निधन पर गहरा शोक संदेश व्यक्त किया है, जिसका पूरा पाठ इस प्रकार है;

इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन

बहुत दुख भरा समाचार प्राप्त हुआ कि मादरे इल्मी जामेआयुल इमाम अमीरुल मोमेनीन के मक़बूल, हर दिल अज़ीज और मुख़लिस असातेज़ा में से एक उस्ताद उल असातेज़ा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन शेख मुहम्मद अली नजफी ताबा सारा दाई अजल को लब्बैक कहते हुए इस दारे फ़ानी से मुहं मोड़ लिया।

मरहूम इस अज़ीम मदरसा के सबसे पुराने शिक्षकों में से एक थे और आपके प्रत्येक छात्र हक़ीक़ी माना मे आपकी पिदराना शफ़क़्क़त बहरामंद था। जामेआ का हर छात्र खुद को आपका शिष्य कहने में गर्व महसूस करता है।

उस्ताद उल असातेज़ा शेख नजफी ने पैंतीस से अधिक वर्षों तक अपनी शिक्षण सेवाओं के दौरान, छात्रों के व्यक्तित्व का पोषण किया और उनके व्यक्तित्व को इस तरह से निखारा कि आज "ज़ो ज़र्रा जिस जगह है, वहीं आफताब है"। आज हम सभी को लगता है कि हम जो कुछ भी हैं उसमें उस्ताद उल असातेज़ा नजफी का बड़ा हाथ है।

हम इस महान विद्वान और धर्म के निस्वार्थ सेवक के निधन पर हजरत वली असर (अ.त.फ.श.) की सेवा में अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। इसी प्रकार हम आपके सभी संबंधियों, विशेषकर आपके परिवार, जामेआ के प्रिंसिपल, जामेआ के अध्यापको और छात्रो प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और अपने आप को उनके दुख में समान भागीदार मानते हैं।

अंजुमन-ए-मोहिब्बाने आले-यासीन (अ.स.)
जामेआतुल इमाम अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नजफ़ी हाउस के छात्र

उस्ताद उल असातेज़ा शेख नजफी ताबा सरा ने अपनी शिक्षण सेवाओं के दौरान छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर काम किया

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