۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
समाचार कोड: 381947
1 जुलाई 2022 - 15:17
शरई

हौज़ा/ अगर अपनी नमाज़े बैठकर पड़ता हैं, और भविष्य में सही होने की उम्मीद ना रखना हो, तो बाप की कज़ा नमाज़े बैठ कर पढ़ सकता है और किसी को अजीर बनाना ज़रूरी नहीं हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवालों के उत्तर कुछ इस प्रकार दिए गए हैं,जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल: बड़े बेटे पर पिता की कज़ा नमाज़े वाजिब हैं,अगर बेटा खड़ा होकर नमाज़ नहीं पढ़ सकता तो क्या बैठ कर पढ़ सकता हैं? या फिर ज़रूरी है कि किसी को अजीर बनाए अगर किसी को अजीर बनाने की माली ताकत ना रखता हो तो इसकी जिम्मेदारी क्या हैं?


उत्तर: अगर अपनी नमाज़े बैठकर पड़ता हैं, और भविष्य में सही होने की उम्मीद ना रखना हो, तो बाप की कज़ा नमाज़े बैठ कर पढ़ सकता है और किसी को अजीर बनाना ज़रूरी नहीं हैं।

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