शुक्रवार 5 नवंबर 2021 - 12:03
शरई अहकाम। नीयाबती नमाज़ और रोज़े का हुक्म

हौज़ा/इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने नीयाबती नमाज़ और रोज़े के हुक्म के सवाल पर जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने नीयाबती नमाज़ और रोज़े के हुक्म के बारे में सवाल का जवाब दिया है।जो शरियय के मसाइल में दिलचस्पी रखते हैं।


इस प्रश्न और उत्तर का पाठ इस प्रकार है:


(नीयाबती नमाज़ और रोज़े )


सवाल :जिसके ज़िम्मे में अपनी नमाज़ और रोज़े कि क़ज़ा हो क्या वह किसी मरे हुए व्यक्ति की नमाज़ और रोज़ा रख सकता है?


उत्तर : नमाज़ के बारे में कोई मुश्किल नहीं है, लेकिन रोज़े के सिलसिले में दो सूरत बनती है, अगर रोज़े के लिए आजीर बना हैं। तो भी कोई मुश्किल नहीं है, लेकिन अगर अजीर ना बना हो और मुफ्त में अंजाम दे! तो एहतियाते वाजीब की बिना पर दुरुस्त नहीं है लेकिन मरने वाले का बड़ा बेटा हर सूरत में अपने बाप के कज़ा रोज़ो को अंजाम दे सकता है।

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