हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول الله صلی اللہ علیه وآلہ وسلم
ليسَ الإيمانُ بالتَّحَلّي و لا بالتَّمَنّي ، و لكنَّ الإيمانَ ما خَلَصَ في القلبِ و صَدّقَهُ الأعمالُ
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया:
ईमान का ताअल्लुक न ज़ाहिर से है और ना आरज़ू से और ना ही खवाहिश से बल्कि ईमान वह है जो दिल में खालीस हो और अमल इसकी गवाही दें।
बिहारूल अनवार,69/72/26