हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الصادق علیه السلام
يا اَبا بَصيرٍ طُوبى لِشيعَةِ قائِمِنَا الْمُنْتَظِرينَ لِظُهُورِهِ، فى غَيْبِتِهِ، وَالْمُطيعينَ لَهُ فى ظُهُورِهِ، اُولئَكَ اَؤْليآءُاللّه ِ الَّذينَ لا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَ لاهُمْ يَحْزَنُونَ
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमाया:
ए अबू बशीर ! हमारे क़ायम अलैहिस्सलाम के शियाओं और चाहने वालों को खुशखबरी हो, कि जो उनकी अनुपस्थिति में उनके ज़हूर की प्रतीक्षा कर रहे हैं,और उनके ज़हूर के समय उनके आज्ञाकारी हैं। वह खुदा के औलिया हैं, कि जिनके लिए न तो भय है और न ही दु:ख।
बिहारूल अनवार,भाग 52,पेंज 150
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