हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने दूसरे दिन की मजलिस में शिरकत कि जिसको हुज्जतुल इस्लाम मसऊद आली ने मजलिस पढ़ी और अहम बिंदुओं की ओर इशारा किया और अपने ख़ेताब में इस बिंदु को बयान किया कि दीनदारी का असली पैमाना और कसौटी यह है कि इंसान हक़ के मोर्चे का हिस्सा बने और इमाम के मर्तबे और ज़िम्मेदारी की मारेफ़त रखता हो।
उन्होंने कहा कि इस बुनियादी उसूल के एतेबार से देखा जाए तो इस्लामी इंक़ेलाब के बाद मिल्लते ईरान की दीनदारी बढ़ी है बल्कि 40 साल से ज़्यादा का समय हो रहा है कि दुनिया में हक़ व इंसाफ़ की प्रतीक यानी इस्लामी जुमहूरिया का परचम बुलंद रखने के लिए क़ौम क़ुरबानियां देकर अपनी दीनदारी की क्वालिटी भी बढ़ा रही है।
जनाब महदी सलहशूर ने इस मजलिस में मरसिया और नौहा पढ़ा और अहलेबैत के मसाएब बयान किए।
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