۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
रहमतुल लिल आलेमीन कांफ्रेस

हौज़ा / मजलिस उलेमा-ए-हिंद द्वारा एकता सप्ताह के अवसर पर ईरान के धार्मिक शहर क़ुम मे रहमतुल लिलआलामीन कांफ्रेस का आयोजन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय विचारकों, विद्वानों और छात्रों ने भाग लिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, एकता सप्ताह और पैंगबर (स.अ.व.व.) और उनके पोत्र इमाम जाफर सादिक (अ.स.) के धन्य जन्म के शुभ अवसर पर मजलिस उलेमा-ए-हिंद की शाखा कुम द्वारा ईरान के धार्मिक शहर क़ुम के मदरसा ए इमाम ख़ुमैनी (र.अ.) मे रहमतुल लिलआलामीन कांफ्रेस का आयोजन हुआ जिसमें भारतीय अहले सुन्नत के महान विचारक सैयद सलमान हुसैन नदवी, ईरानी विचारक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद अलीजादेह मूसवी और भारतीय प्रांत उत्तर प्रदेश के शहर अकबरपुर मे ऐनुल हयात मदरसा के संस्थापक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद एहतेशाम अब्बास जैदी साहब ने सभा को संबोधित किया। सम्मेलन में बड़ी संख्या में भारतीय गणमान्य व्यक्तियों और छात्रों ने भाग लिया।

सऊदी शासक वास्तव में ज़ायोनी शासक हैः मौलाना सलमान नदवी

कांफ्रेस की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद जवाद रिजवी द्वारा की गई और फिर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना अजहर बाकिर खान और हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद शफी इमाम रिजवी ने क्रमशः नात और मनकब प्रस्तुत किया और इस्लामी एकता के विषय पर प्रकाश डाला।

अंतरराष्ट्रीय उपदेशक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैय्यद शमीम रज़ा रिज़वी ने एकता को अतीत की तरह आज के इस्लामी समाज की आवश्यकता बताया और कहा: मुसलमानो का आपसी मतभेद और विभाजन इस्लाम के दुश्मनो का उनपर गलबा हासिल करने का मार्ग प्रश्स्त करना है।

उन्होंने कहा कि इस तरह के सम्मेलन और कार्यक्रम आयोजित करना और सैयद सलमान हुसैन नदवी जैसे प्रतिष्ठित सुन्नी मौलवी का भारत भूमि से एक विशेष अतिथि के रूप में होना इस्लामी एकता और एकजुटता के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। यही वह मार्ग है जिस पर इमाम खुमैनी (र.अ.) और सर्वोच्च नेता ने हमेशा जोर दिया है।

सऊदी शासक वास्तव में ज़ायोनी शासक हैः मौलाना सलमान नदवी

सऊदी शासक वास्तव में ज़ायोनी शासक हैः मौलाना सलमान नदवी

भारत के प्रमुख धार्मिक विद्वान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद सादिक रिजवी ने अपने संबोधन में अहले सुन्नत के मौलवी सैयद सलमान हुसैन नदवी के व्यक्तित्व का जिक्र करते हुए कहा:आप एक दश्क से भारत मे एकता का झंडा उठाए हुए है  आले सऊद और आले नाहयान के उत्पीड़न के खिलाफ उनके मजबूत रुख और भाषणों के कारण उन्हें सऊदी अरब और यहां तक ​​कि बहरैन में प्रवेश करने से रोक दिया गया है।।

अहले सुन्नत के मौलवी सैयद सलमान हुसैन नदवी की 2010 की घोषणा का उल्लेख करते हुए कि आले सऊद और यहूद संयुक्त राज्य अमेरिका के दो नाजायज बच्चे करार देने की ओर संकेत करते हुए कहा: इनके इस बयान के कारण भारत सहित विश्व भर मे आले सऊद के समर्थकों की ओर से विभिन्न प्रकार के नुकसान और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

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सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय विचारक अहले सुन्नत के मौलवी मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी ने पूरे इस्लामी जगत के लिए एकता और एकजुटता के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि हमें सुन्नी और शिया दुनिया से बाहर निकलने की जरूरत है। अल्लाह की नजर में इस्लाम है, हम पहले मुसलमान हैं, उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग आज सच्चाई से मुंह मोड़ रहे हैं, वे अपने पाखंड के कारण दूर हो रहे हैं, भले ही वह अरब देश हो या संयुक्त अरब अमीरात या मिस्र, यहाँ के शासक ज़ायोनी शासक हैं। वे आपराधिक शासक हैं। उनका मिशन उम्मा को थोड़ा विभाजित करना और अरब के स्वर्ग को इज़राइल को सौंपना है।

मजलिस ए उलेमा ए हिंद की शाखा क़ोम के महासचिव, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद अहमद रज़ा ज़ुरारा ने सम्मेलन में अहले सुन्नत के मौलवी सैयद सलमान हुसैन नदवी के आगमन का स्वागत किया और कहा: मैं आपको अपने पूर्ण समर्थन का आश्वासन देता हूं। .

समारोह के अंत में, उन्होंने भारत के सभी विद्वानों और छात्रों को श्रद्धांजलि अर्पित की और इस सम्मेलन के आयोजन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

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