हौजा न्यूज एजेंसी, लखनऊ की रिपोर्ट के अनुसार/पिछले साल की तरह इस साल भी इमाम बारगाहे उम्मु बनीन (स.अ.) मंसूर नगर में आयोजित अशरा मजलिस को मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी संबोधित कर रहे हैं।
मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने "इमाम हुसैन (अ.स.) की शख़्सियत और सीरत" शीर्षक के तहत आयोजित अशरा मजलिस की 9वीं मजलिस को संबोधित करते हुए कहा, "एक दिन इमाम हुसैन (ए.एस.) अपने गुलाम के साथ हमाम गए रास्ते में जमीन पर रोटी का एक टुकड़ा पड़ा हुआ पड़ा, जिसे उसने उठाया और स्नान करने के लिए गुलाम को दे दिया और कहा, "जब मैं लौटूं तो मुझे दे दो।" जब इमाम हुसैन (अ.स.) ) लौटे तो गुलाम से रोटी के टुकड़े के लिए पूछा, उसने कहा, रोटी का टुक्ड़ा मैने खा लिय है। "इमाम हुसैन (अ.स.) ने कहा, "मैंने तुम्हें भगवान के रास्ते में आजाद कर दिया।" किसी ने पूछा, "मौला क्या इस तुच्छ कार्य के लिए स्वतंत्र कर दिया?" इमाम ने जवाब मे फ़रमाया क्योकि उसने अल्लाह के रिज़क का सम्मान किया तो खुदा ने उसे जहन्नम की सजा से मुक्त कर दिया, तो मैं उसे मुक्त क्यों न करूं?" यह समझाते हुए उन्होंने कहा: रिज़्के इलाही का सम्मान नर्क से मुक्ति का कारण है। इसलिए खाने-पीने की इज्जत करो, खासकर जब हुसैन के नाम से जिक्र हो तो उसके लिए सम्मान बढ़ जाता है।
मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने कहा: किबरियाई भगवान के लिए खास है। अल्लाह को अहंकार पसंद नहीं है, सबसे पहले अहंकार, इब्लीस घमंडी ने किया था, इसलिए वह भगवान द्वारा अस्वीकार कर दिया गया, फिरौन अहंकारी था, वह डूब गया, अहंकार विश्वास को नष्ट कर देता है, इसलिए जो अहंकारी है वह अल्लाह का नहीं शैतान का है और वह फिरऔन बन जाता है।