हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,पैग़म्बरे इस्लाम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) के अहले-बैत पूरी तारीख़ में ऐसे चमकते सूरज रहे हैं जिन्होंने ज़मीन पर बसने वाली इंसानियत को ग़ैब की दुनिया और अल्लाह के अर्श से जोड़ दिया: वह जो है ज़मीन को आसमान से जोड़ देने वाला ज़रिया है। (दुआए नुदबा)
रसूले ख़ुदा का घराना, ज्ञान का स्रोत, अख़लाक़ी बुलंदियों का स्रोत, त्याग व बलिदान का स्रोत, सच्चाई व पवित्रता का स्रोत और हर युग और काल में इंसानी वुजूद की सभी अच्छाइयों, सौंदर्यों और प्रकाश का स्रोत रहा है, इनमें से हर एक इस तरह का चमकता सूरज है।
अल्लाह की कृपा और उसकी मर्ज़ी से आज हमारे ज़माने में उन्हीं में से एक चमकता सूरज, धरती पर अल्लाह की निशानी, बंदों पर अल्लाह की हुज्जत (तर्क) वक़्त के इमाम और अल्लाह के ख़ास वली की हैसियत से धरती पर मौजूद है। उनके वुजूद की बरकतें और उनके वुजूद से निकलने वाला नूर आज भी इंसान तक पहुंच रहा है।
इमाम ख़ामेनेई