हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,जो भी देश कोई ऐसा काम करे जो उसकी ख़ुद मुख़तारी और उसकी अपनी और आंतरिक तरक़्क़ी व प्रगति में मददगार हो तो उनकी (साम्राज्यवादी सिस्टम की) नज़र में वो सज़ा के लाएक़ है।
वे उद्योग देने के लिए तैयार हैं लेकिन वो उद्योग जो उनके कंट्रोल में हो .परमाणु ऊर्जा, अलबत्ता परमाणु बिजली घर के अर्थ में परमाणु बिजली पैदा करने वाले कारख़ाने नहीं ज़ालिम पहलवी सलतनत जैसी पिट्ठू सरकार को देने के लिए तैयार हैं क्योंकि वो उनकी मुट्ठी में है और उन्हीं की है, लेकिन जब इस्लामी गणराज्य की बारी आती है तो वो ये काम करने के लिए तैयार नहीं है,
फिर जब वो लोग उसे ईंधन देने के लिए तैयार नहीं हुए और इस्लामी जमहूरिया ईरान अपने जवानों की मदद से, इंजीनियरों, डॉक्टरों और शिक्षित लोगों की मदद से दिन रात काम करके और एक अच्छे मैनेजमेंट के माध्यम से ख़ुद ईंधन पैदा करने की तकनीक हासिल कर लेता है तो ये बात उनके लिए कड़वी है, ये बात उन्हें अच्छी नहीं लगती, इसी लिए उसका विरोध करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई,