۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
استغفار - توبه

हौज़ा/जब हम कहते हैं कि गुनाह की राह से पलट आएँ तो इसका मतलब यह है कि गुनाह के प्वाइंट और गुनाह की राह को पहचानें और उस तरफ़ न जाएं, ग़ौर व फ़िक्र करें कि हमारे काम में कहाँ मुश्किल है, हमसे कहाँ ग़लती हुई है, हम कहाँ गुनाह कर बैठे हैं, कहाँ क़ुसूर हुआ है यह काम ख़ुद अपनी ज़ात से हमको शुरू करना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर ने फरमाया,इनाबा, यानी अल्लाह की ओर पलटना। यह तौबा व इनाबा स्वाभाविक तौर पर एक ख़ास मानी रखता है। जब हम कहते हैं कि गुनाह की राह से पलट आएँ तो इसका मतलब यह है कि गुनाह के प्वाइंट और गुनाह की राह को पहचानें और उस तरफ़ न जाएं, यह बहुत अहम है।

हम इसी तरह बिना सोचे समझे आगे बढ़ते चले जाते हैं, ज़्यादातर हममें ऐसे ही लोग होते हैं जो अपने कामों से, अपनी ख़ताओं से, जो ग़लतियां हो रही हैं उनकी ओर से ग़ाफ़िल होते हैं, जो कुछ ख़ुद इंसान से संबंधित है,

ज़्यादातर उनकी कमियों को हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं, इसलिए लोगों का फ़रीज़ा है कि वह हमारे ऐब को बताएं, अगर हम ख़ुद समझ रहे होते तो ख़ुद को सुधार लेते, दूसरों तक बात पहुंचने की नौबत ही न आती, इसकी ज़रूरत ही न पड़ती कि दूसरे हमसे कहें, यह तौबा व इनाबा कि जिसका ज़िक्र हुआ,

इसका पहला क़दम यह है कि काम के ऐब को समझें, ग़ौर व फ़िक्र करें कि हमारे काम में कहाँ मुश्किल है, हमसे कहाँ ग़लती हुयी है, हम कहाँ गुनाह कर बैठे हैं, कहाँ क़ुसूर हुआ है, यह काम ख़ुद अपनी ज़ात से हमको शुरू करना चाहिए।

इमाम ख़ामेनेई,

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