हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल : ना महरम पर इत्तेफाकी नज़र पढ़ने का क्या हुक्म हैं।
उत्तर : इत्तेफाकी और ग़ैर इरादी नज़र(पहली नज़र) कोई हर्ज नहीं रखती मगर यह की नज़र जमाए रखने या उसको दोहराने से परहेज करना ज़रूरी हैं।