۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
रहबर

हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,अल्लाह तआला हर मैदान में पैग़म्बरे अकरम के साथ था और पैग़म्बर हर मैदान में अल्लाह से मदद तलब करते थे, उन्होंने अल्लाह तआला से मदद मांगी और उसके अलावा किसी से नहीं डरे और प्रभावित नहीं हुए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,अल्लाह हर मैदान में पैग़म्बरे अकरम के साथ था और पैग़म्बर हर मैदान में अल्लाह से मदद तलब करते थे, उन्होंने अल्लाह तआला से मदद मांगी और उसके अलावा किसी से नहीं डरे और प्रभावित नहीं हुए।

अल्लाह की बारगाह में पैग़म्बर की बंदगी का अस्ली राज़ ये है, ख़ुदा के सामने किसी भी ताक़त को कुछ न समझना, उससे न डरना, दूसरों की मर्ज़ी के लिए अल्लाह की राह को न छोड़ना।

हमारे समाज को पैग़म्बर की इस सीरत से सबक़ लेकर पूरी तरह एक इस्लामी समाज में बदल जाना चाहिए।

इंक़ेलाब इस लिए नहीं आया कि कुछ लोग जाएं और दूसरे (उनकी जगह) आ जाएं, इंक़ेलाब इस लिए है कि समाज के उसूलों और तौर तरीक़ों में बदलाव आए, इंसान की क़ीमत की कसौटी, ख़ुदा की बंदगी हो, इंसान ख़ुदा का बंदा हो, ख़ुदा के लिए काम करे, ख़ुदा से डरे, अल्लाह के अलावा किसी से न डरे, ख़ुदा से मांगे,

ख़ुदा की राह में काम और कोशिश करे, अल्लाह की आयतों पर ग़ौर करे, दुनिया की सही पहचान हासिल करे, वैश्विक और इंसानी बुराइयों के सुधार के लिए कमर कस ले और ख़ुद से शुरुआत करे, हममें से हर कोई अपने आप से शुरुआत करे।

इमाम ख़ामेनेई,

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