हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की गुप्तचर सेवा सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्ज़ ईरान में होने वाले उपद्रवों में अमेरिका का हाथ होना, एक साक्षात्कार में खुलकर स्वीकार करते नज़र आए।
उन्होने ईरान में होने वाले हालिया उपद्रवों व अशांति की घटनाओं में न केवल अमेरिकी समर्थन को स्वीकार किया है बल्कि इस समर्थन के जारी रहने पर बल भी दिया है।
एक न्यूज़ साइट ने इंटरव्यू में जब उनसे पूछा कि क्या ईरान में होने वाला एतराज़ एक छोटा- मोटा एतेराज़ है या एक क्रांति का आरंभ है इस बारे में आपका क्या विचार है? तो उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि यह छोटा- मोटा विरोध व एतराज़ है और जो चीज़ कम से कम मेरे लिए और मेरे विश्लेषकों के ध्यान का केन्द्र है वह यह है कि इस समय जो एतराज़ हो रहा है वह व्यापक व विस्तृत रूप धारण करता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एतराज़ करने वालो की बहादुर होने की बात कही हैं और उनमें से बहुत सी महिलायें हैं जो वास्तव में बहुत बहादुर हैं, वे बहुत से कारणों से थक गये हैं और प्रदर्शनों का खतरा मोल ले रहे हैं।
इसी प्रकार विलियम बर्न्ज़ ने कहा कि विषम आर्थिक स्थिति, भ्रष्टाचार और समाज में महिलाओं को सीमाओं का सामना है और इसी प्रकार वे राजनीतिक दमन से थक गये हैं।
ज्ञात रहे कि विलियम बर्न्ज़ इस समय अमेरिका की उस संस्था के प्रमुख हैं कि उनसे पहले माइक पोम्पियो उस संस्था के प्रमुख थे और बाद में वह अमेरिका के विदेशमंत्री बन गये थे। सीआईए के पूर्व प्रमुख माइक पोम्पियो ने स्वीकार किया था कि जब हम सीआईए के प्रमुख थे तो झूठ बोलते थे, धोखा देते थे और चोरी करते थे। इस काम के लिए हमें ट्रेनिंग दी गयी थी।
ज्ञात रहे कि अमेरिका पाठ पढ़ाता फिरता है कि दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये जबकि पूरी दुनिया का आमजनमत भी इस बात से पूरी तरह अवगत है कि बहुत से देशों में बहुत से संकटों की जड़ अमेरिका है और अमेरिकी अधिकारी बड़ी निर्लज्ता के साथ कबूल कर रहे हैं कि ईरान की हालिया अशांतियों व उपद्रवों को उनका समर्थन प्राप्त है और इसके जारी रहने पर वे बल भी दे रहे हैं।