۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
समाचार कोड: 384220
25 अक्तूबर 2022 - 13:50
अमेरिका

हौज़ा/जर्मनी में हुए,ईरान विरोधी प्रदर्शन की सच्चाई, इस्लामी राष्ट्र के आगे दिखाई दी यूरोपीय देशों और अमेरिका की बेबसी,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,कुछ दिनों पहले ईरान में महसा अमीनी नामक एक लड़की की मौत के बाद जिस तरह अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों ने मिलकर ईरान में दंगे भड़काने का प्रयास किया है उससे इन देशों का मानवाता विरोधी चेहरा और साफ़ तरीक़े से सामने आ गया है।
वहीं इस्लामी क्रांति के दुश्मनों द्वारा की जा रही हर तरह की साज़िशों को लगातार मिल रही नाकामी से बौखलाए दुश्मन अब स्वयं अपने देशों में ईरान विरोधी प्रदर्शनों का आयोजन कराने में लगे हैं।
लाखों डॉरल ख़र्च करके और प्रचार के हर माध्यम का इस्तेमाल करके ईरान की इस्लामी क्रांति के दुश्मनों ने  22 अक्तूबर शनिवार को यूरोप और उत्तरी अमेरिका में रहने वाले भगौड़े ईरानियों के एक समूह को ईरान में अशांति के समर्थन में बर्लिन में एकत्र किया। व्यापक स्तर पर विज्ञापनों के बावजूद, जर्मन मीडिया ने 80,000 लोगों की उपस्थिति का दावा किया किया हैं।


अगर हम एकत्र भीड़ से अफ़ग़ान, इराक़, तुर्की और जर्मन के नागरिकों की उपस्थिति को नज़रअंदाज करते हैं, तो विदेशों में रहने वाले ईरानियों का आंकड़ा रखने वाली संस्था के अनुसार, 11 लाख 84 हज़ार 552 ईरानी यूरोप में रहते हैं।
अगर पश्चिमी मीडिया के झूठे दावे का मान भी लिया जाए तब भी 11 लगभग 12 लाख लोगों में से केवल 80 हज़ार लोगों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया, जो विदेशों में रहने वाले ईरानियों को जुटाने में ईरान दुश्मन ताक़तों की अक्षमता को दर्शाता हैं।
एक रिपोर्टों के मुताबिक़, ईरान विरोधी प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए इस्लामी क्रांति के दुश्मनों ने हर तरह के हथकंड़े अपनाए।
जहां बसों और ट्रेनों को प्रदर्शनकारियों के लिए फ्री कर दिया गया था वहीं अपने निजी वाहन से आने वाले लोगों को पेट्रोल तक का पैसा दिया गया। लेकिन इसके बावजूद इस प्रदर्शन में ज़्यादातर ऐसे लोगों की संख्या थी जो इस्लामी क्रांति के समय ईरान से भाग गए थे,और आतंकवादी गुट एमकेओ से जुड़ गए थे।
वहीं प्रदर्शनकारियों के हाथों में मौजूद प्ले कॉर्डों और बैनरों से साफ पता चल रहा था कि वह किस उद्देश्य से एकत्रित हुए हैं। क्योंकि उन प्ले कॉर्डों और बैनरों पर ईरान को बांटने वाले नारे लिखे हुए थे।
यह ऐसा मुद्दा था कि स्वयं प्रदर्शन में शामिल लोगों में एक गुट ने इसपर अपनी आपत्ति जताई बहरहाल ईरान में हालिया दिनों में होने वाले दंगों की सच्चाई पूरी तरह सामने आ गई है।
अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा लगातार ईरान पर बनाए जा रहे दबावों और कड़े से कड़े प्रतिबंधों के बावजूद इस्लामी गणराज्य ईरान के विकास की ओर बढ़ते क़दमों को रोकने में विफल रहने के बाद अब इस्लामी क्रांति के दुश्मन दंगे कराने और आतंकवादी गुटों को आगे करके अपने नापाक उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहते हैं।
लेकिन उन्हें यह जान लेना चाहिए कि जिस तरह उनकी साज़िशें पहले भी नाकाम होती आई हैं उसी तरह इस बार फिर उन्हें मायूसी ही हाथ लगी

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