हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवालः क्या शरई लेहाज़ से यह वसीयत की जा सकती है कि मौत के बाद बची हुई मीरास को उस वक़्त तक बांटा न जाए जब तक वारिसों में से एक मोअय्यन वारिस ज़िन्दा है (यानी मीरास का बंटवारा निर्धारित वारिस की मौत तक रुका रहे)?
जवाबः अगर सभी वारिस उसकी ज़िन्दगी में या मरने के बाद, वसीयत को क़ुबूल कर लें तो यह वसीयत लागू होगी, वरना सिर्फ़ एक तिहाई माल पर वसीयत लागू होगी।