۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
وصیت

हौज़ा /  पिता ने वसीयत की है कि उसका बेटा एक विशेष नौकरी करेगा या किसी विशेष लड़की या महिला से शादी करेगा। ऐसी वसीयतें शून्य हैं। क्योंकि वे वसीयत के जरिए दूसरों की जिंदगी में दखल नहीं दे सकते और न ही किसी को जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

ऐसे मामले जिनमें किसी विशेष इरादे या सिफ़ारिश का कोई महत्व नहीं है:

1⃣ - जो व्यक्ति अपने बेटे को मस्जिद में या मस्जिद के बाहर वक़फ़ करना चाहता है तो ऐसा वक़फ़ अमान्य है।
क्योंकि वक़फ़ संपत्ति में होता है, व्यक्ति में नहीं (1)

2- पिता की वसीयत है कि उसका बेटा कोई खास नौकरी करे या किसी खास लड़की या महिला से शादी करे। ऐसी वसीयतें शून्य हैं। क्योंकि वे वसीयत के जरिए दूसरों की जिंदगी में दखल नहीं दे सकते और न ही किसी को जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। (2)

3- यदि माता-पिता ने यह नज़र की है कि उनका बेटा या बेटी अमुक पुरुष या स्त्री से विवाह करेंगे, तो ऐसी प्रतिज्ञा में कुछ गड़बड़ है।
क्योंकि एक लड़के और लड़की की शादी में इजाजत एक शर्त होती है। इसलिए बेहतर है कि आदरणीय माता-पिता को ऐसी प्रतिज्ञाएँ करने से बचना चाहिए। (3)

वसीयत के अहकाम
ـــــــ

1- हिदायातुल इमामा एला अहकामिल उम्मा, खंड 2, पृष्ठ 197 2- अल-वसीला एला नील अल फ़ज़ीला, पृष्ठ 373 3- तौज़ीह अल मसाइल महशी, खंड 2, पृष्ठ 620।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .