۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
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हौज़ा/ एसेंबली के प्रमुख और सदस्यों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की,इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस संस्था के बारे में महत्वपूर्ण बातें बयान के साथ ही दूसरे विषय पर भी बात हुई

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एसेंबली के प्रमुख और सदस्यों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की,इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस संस्था के बारे में महत्वपूर्ण बातें बयान के साथ ही दूसरे विषय पर भी बात हुई
तकरीर के महत्वपूर्ण बिंदु:

विशेषज्ञ असेंबली एक तो अवाम के ज़रिए चुना गया इदारा है और दूसरे यह ओलमा पर आधारित है। लेहाज़ा यह इस्लामी व्यवस्था में जुम्हूरियत और इस्लामियत के एक साथ जमा होने की मिसाल पेश करता है।

लिबरल डेमोक्रेसी के नेताओं ने दुनिया को अपने क़ब्ज़े में करने का मंसूबा बनाया है। लिबरलिज़्म और डेमोक्रेसी के परचम के पीछे वो दुनिया के संसाधन लूटने और मुल्कों व क़ौमों को अपने कंट्रोल में लेने का इरादा रखते हैं। ज़ाहिर है इस्लाम इसके ख़िलाफ़ है।

इस्लामी जुम्हूरिया जब क़ायम होती है तो अपने साथ जुम्हूरियत भी लाती है, आज़ादी भी लाती है और दीन को भी साथ रखती है और दुनिया पर क़ब्ज़ा करने के लिबरल डेमोक्रेसी के ज़िम्मेदारों के मंसूबों को नाकाम कर देती है।

पाबंदियां न होतीं तो उद्योग और टेक्नालोजी के मैदानों में हम इतनी तरक़्क़ी भी न कर पाते। डिफ़ेंस, इंडस्ट्रीज़, मेडिकल साइंस और हेल्थ केयर के मैदानों में नई क्षमताएं हासिल न कर पाते। हमें न कोई साइंस व टेक्नालोजी दे रहा था न हमें पार्ट्स बेचे जाते थे। मजबूर होकर हमने ख़ुद ही बनाया।

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