۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
नेता

हौज़ा/इंक़ेलाबे इस्लामी की कामयाबी की सालगिरह के मौक़े और 8 फ़रवरी 1979 को एयरफ़ोर्स के कुछ कमांडरों की ओर से इमाम ख़ुमैनी की बैअत किए जाने की तारीख़ी घटना के उपलक्ष्य में आज सैकड़ों की तादाद में सेना की एयर फ़ोर्स और एयर डिफ़ेन्स इकाई के कमांडरों और जवानों ने सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इंक़ेलाबे इस्लामी की कामयाबी की सालगिरह के मौक़े और 8 फ़रवरी 1979 को एयरफ़ोर्स के कुछ कमांडरों की ओर से इमाम ख़ुमैनी की बैअत किए जाने की तारीख़ी घटना के उपलक्ष्य में आज सैकड़ों की तादाद में सेना की एयर फ़ोर्स और एयर डिफ़ेन्स इकाई के कमांडरों और जवानों ने सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने सेना की सराहना करते हुए उसे मोमिन, क्रांतिकारी, अवामी, बड़े व हैरतअंगेज़ काम अंजाम देने वाली संस्था बताया। उन्होंने 8 फ़रवरी 1979 की घटना को, इसके चार दिन बाद 11 फ़रवरी को इस्लामी क्रांति की कामयाबी में बहुत प्रभावी तत्व बनाया, ऐसा तत्व जिसने इस्लामी इंक़ेलाब को कामयाब बनाने की लहर पैदा कर दी थी।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि दुश्मन, मतभेद और अविश्वास के ज़रिए इस्लामी गणराज्य को झुकाना चाहता है। उन्होंने बल दिया कि इस शैतानी साज़िश से निपटने के लिए सबसे अहम ज़िम्मेदारी एकता को बचाए रखना है और इंशाअल्लाह इस साल 11 फ़रवरी को इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी की सालगिरह, क़ौमी एकता व विश्वास की तस्वीर साबित होगी और अवाम, बुरा चाहने वालों को साफ़ तौर पर यह पैग़ाम देंगे कि क़ौमी एकता को ख़त्म करने और अविश्वास पैदा करने की उनकी कोशिश नाकाम हो चुकी है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इसी तरह 8 फ़रवरी की घटना को, 11 फ़रवरी के लिए प्रेरणादायक व प्रभावी प्रष्ठिभूमि और ईरानी क़ौम की महानता व सम्मान को ज़ाहिर करने वाली घटना बताया।

उन्होंने कहा कि 11 फ़रवरी ईरानी क़ौम के आंदोलन के चरम पर पहुंचने और ईरानी क़ौम की तारीख़ का सबसे शानदार दिन होने की याद दिलाता है, क्योंकि इस दिन अवाम ने इज़्ज़त, महानता और ताक़त हासिल की।

उन्होंने मुख़्तलिफ़ मैदानों में ईरानी क़ौम की पहल, तरक़्क़ी, कामयाबी और ठोस तर्क का ज़िक्र करते हुए, इस साल के 'एतेकाफ़' (लगातार तीन दिन मस्जिद में ठहरकर की जाने वाली इबादत) के प्रोग्राम में इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के जवानों की भरपूर शिरकत को राष्ट्रीय विकास का नमूना बताया। उन्होंने कहा कि आपने देखा कि किस तरह इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के जवानों का मज़ाक़ उड़ाने के लिए जोक बनाए गए थे लेकिन आंकड़े और इस साल के एतेकाफ़ की रिपोर्ट बताती हैं कि इस प्रोग्राम में सबसे ज़्यादा इसी दशक में जन्म लेने वाले नौजवान शामिल थे।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि इस्लामी इंक़ेलाब को शिकस्त देना, इस्लामी व्यवस्था के दुश्मनों का मुख्य लक्ष्य है जिसके लिए वे साज़िश भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुश्मन इसका इंकार करता है जैसा कि क़रीब 15 साल पहले अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने मुझे ख़त में साफ़ तौर पर लिखा कि हम आपके सिस्टम को बदलने का इरादा नहीं रखते लेकिन उस वक़्त हमारे पास ऐसी रिपोर्टें थीं कि वे अपने ख़ास सेंटरों में इस्लामी जुम्हूरिया को शिकस्त देने की योजना बना रहे थे।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि दुश्मन की मुख्य स्ट्रैटेजी मतभेद पैदा करना है क्योंकि ऐसा होने पर भविष्य के प्रति उम्मीद ख़त्म हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि सियासी धड़ों के बीच बदगुमानी पैदा करना, अवाम में एक दूसरे और सरकार के प्रति अविश्वास पैदा करना और विभागों के बीच बदगुमानी पैदा करना, ईरान का बुरा चाहने वालों की स्ट्रैटेजी का हिस्सा है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि राजनैतिक इख़्तेलाफ़ व मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन इन मतभेदों को एक दूसरे पर झूठा इल्ज़ाम लगाने का सबब नहीं बनना चाहिए और दुश्मन की स्ट्रैटेजी के मुक़ाबले में हमे एकता की स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए।

उन्होंने 8 फ़रवरी की इमाम ख़ुमैनी की तस्वीर को दमावंद पहाड़ की ऊंची चोटी की तरह ताक़त, इज़्ज़त और ठोस ईमान का प्रतीक और इसी के साथ शाही हुकूमत की फ़ौज के जवानों के सिलसिले में, मोहब्बत व प्यार भरी तस्वीर बताया। उन्होंने कहा कि फ़ौज, इमाम ख़ुमैनी के साथ खड़ी हो गयी और इंक़ेलाबी बाक़ी रही और यह इंक़ेलाबी बाक़ी रहना अहम बात है क्योंकि कुछ लोग इंक़ेलाबी तो बन जाते हैं लेकिन इंक़ेलाबी बाक़ी नहीं रह पाते, जबकि इस्लामी जुम्हूरिया की फ़ौज आज पहले दिन से कहीं ज़्यादा इंक़ेलाबी, मोमिन और मुख़्लिस है और जहाँ भी ज़रूरत पड़ी उसने बहादुरी और त्याग के साथ अवाम के कांधे से कांधा मिलाकर रोल अदा किया और मुल्क की रक्षा के लिए भरपूर दृढ़ता दिखाई।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने आज की फ़ौज को स्वाधीनता और स्थिरता का प्रतीक और अवाम व अधिकारियों के बीच लोकप्रिय व भरोसेमंद क़रार दिया। उन्होंने कहा कि आज फ़ौज अवाम के साथ, अवाम के कांधे से कांधा मिलाकर, अवाम का हिस्सा है और अगर अतीत में उसे अमरीकियों से ख़रीदे गए विमानों के पुर्ज़ों को छूने तक का अधिकार नहीं था तो आज वह पाबंदियों के बावजूद विमान बना रही है और अवाम के लिए बड़े बड़े, हैरतअंगेज़ व क़ाबिले फ़ख़्र काम अंजाम दे रही है जिसके कुछ नमूने कल नज़र आए।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि इन कोशिशों का रूहानी इनाम अल्लाह की निकटता हासिल होना है। उन्होंने फ़ौजियों को ख़िताब करते हुए कहा कि आपको फ़ख़्र होना चाहिए कि आप इस्लामी जुम्हूरिया की फ़ौज का हिस्सा हैं। क़ौम भी और अधिकारी भी फ़ौज की अहमियत को समझते हैं और आप भी अपने कमज़ोर पहलुओं को मज़बूत करके और अपने विभाग की कमज़ोरियों को दूर करके अपनी क़द्र कीजिए।

उन्होंने अपनी स्पीच के अंत में सीरिया और तुर्किये में आने वाले ज़लज़ले के प्रभावितों से हमदर्दी जतायी और मरने वालों के लिए अल्लाह से रहमत व मग़फ़ेरत की दुआ करते हुए कहा कि अलहम्दो लिल्लाह, हमारे मुल्क के अधिकारियों ने कुछ मदद की है और वे और भी मदद करेंगे।

इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में एयरफ़ोर्स के प्रमुख जनरल वाहेदी ने साइंस की मुख़्तलिफ़ फ़ील्ड्ज़, नालेज बेस्ड विभागों, पुर्ज़ों व उपकरण बनाने, जंगी तैयारी, ट्रेनिंग और राहत कामों के मैदानों में एयरफ़ोर्स के प्रोडक्ट्स और प्रभावी कामों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।
 

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