हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मौलाना सैय्यद गुलाम अस्करी ने 5 मकातिब से संस्था तनज़ीमुल मकातिब की शुरूआत की थी लेकिन आज यह संस्था धार्मिक शिक्षा, समकालीन शिक्षा(स्कूल कॉलेज), स्वास्थ्य, प्रकाशन, सोशल मीडिया, ऑनलाइन क्लासेज़, मिली विकास कार्यक्रम, कल्याण सेवाएं, समर्थन, तबलीगी सफ़र, धार्मिक शैक्षिक सम्मेलन, शैक्षणिक सामाजिक सम्मेलन व वेबिनार, गुलाम असकरी रोज़गार योजना, काउंसलिंग, विद्वानों की विरासत पुनरुद्धार, ई मकतब, इमामिया स्टडी सेंटर, ई शॉप, मुबल्लेगीन की फराहमी, स्टूडेंट स्कॉलरशिप, महिला तरबीयती कैम्प, युवा के लिए तरबीयती कैम्प, रिफ्रेशर कोर्स पेश नमाज़ के लिए जैसी 80 से अधिक सेवाएं पूरे देश में अंजाम दे रहा है।
अब तक लाखों नौनेहाल मकातिब में दीन व ईमान व इंसानियत की शिक्षा ले कर जवान हो चुके हैं और जीवन के विभिन्न विभागों में एक पवित्र और सफल जीवन जी रहे हैं, मकातिब से निकल कर हज़ारों की तादाद में छात्र दीनी मदारिस और हौज़ाते इल्मिया को आबाद कर चुके हैं और लाखों प्रोफेसर, डॉक्टर और ऑफिसर जीवन के विभिन्न विभागों में देश और इंसानियत की सेवा कर रहे हैं। मकातिब ने निकलने वाले छात्र मदारिस में पढ़ कर सैकड़ों की तादाद में देश और विदेश में धार्मिक सेवाओं को अंजाम दे रहे हैं जिनके अस्तित्व से मेहराब व मिंबर और मकातिब व मदारिस आबाद हैं।
आधुनिकीकरण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्था ने मौलाना गुलाम असकरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट ( नौकरी पाने लायक बनाना) राष्ट्र के युवाओं और पेशेवरों को जोड़ने के लिए डाटा कलेक्शन, मैरिज और फैमिली काउंसलिंग, कैरियर जॉब एजुकेशन काउंसलिंग, टॉलेट निर्माण, जल प्रबंधन, स्वास्थ्य केरत व तजवीद, समारोह अंतर-विभागीय सम्मेलन कार्यक्रम शुरू किया है। तकरीबन पूरा कार्यालय कंप्यूटराइज़्ड हो चुका है, जामिया इमामिया के स्लेबस में अंग्रेज़ी और कंप्यूटर जैसे आधुनिक शिक्षा को ग्रेजवेशन लेवल तक पढ़ाया जा रहा है में पढ़ाया जा रहा है हर मकतब में कोचिंग शुरू की जा रही है।
ई मकतब शुरू हो चुका है, सुबह 6 से रात 11 बजे तक घंटे घंटे के स्लॉटस हैं, मकतब के बाद 6 से 9 क्लास वाले बच्चों के लिए ई नौनेहलन के नाम से उसके बाद मदरसा अबू तालिब व खदीजा के नाम से नौजवानों जवानों की शिक्षा का सिलसिला शुरू हो चुका है। यह सभी शोबे ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं ।
आपको बता दें कि स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए इमामिया स्टडी सेंटर कोचिंग+मकतब के नाम से कोचिंग का प्रबंध किया गया ताकि बच्चे जिन विषयों में कमज़ोर हों उनमें उनकी मदद की जाए खास कर इंग्लिश, मैथ्स और साइंस में उन्हें होमवर्क कराया जाए और उन्हें ज़रूरी धार्मिक शिक्षा भी दी जाए।
साथ ही आपको बता दें कि संस्था के मदरसों में उच्च धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ बड़ी संख्या में आधुनिक शिक्षा छात्र हासिल कर के बीए, एमए और पीएचडी के गंतव्य तक पहुंच चुके हैं और कुछ संस्था के पढ़े हुए छात्र विश्वविद्यालयों में लेक्चरर हैं, रमज़ान और मोहर्रम में मुबल्लिग भेज कर और साल भर बंगाल से करगिल तक दूर दराज़ क्षेत्रों में तबलीगी दौरा कर के दीनदारी का पैगाम पहुंचाया जा रहा है। इमामिया ईशॉप और शिया बाज़ार के नाम से ऑनलाइन उपहार और बुक बाज़ार का प्रबंधन भी है।
उर्दू, हिंदी, अंग्रेज़ी, गुजराती और बंगाली में लाखों की संख्या में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उपमहाद्वीप के बुज़ुर्गों और प्राचीन विद्वानों की विद्वानों की विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है। संस्था ने विद्वानों की विद्वता पूंजी को संरक्षित करने और विद्वानों के अनुसंधान और दृष्टि को सुविधाजनक बनाने के लिए चयनित दुर्लभ पुस्तकों के पीडीएफ बनाने और प्रिंट करने का काम भी शुरू कर दिया है।
आपको यह भी बता दें कि धर्म का संदेश घर-घर उर्दू, हिंदी पत्रिका के माध्यम पहुंच रहा है और संस्था के अहले कलम के ब बसीरत मकालात और तर्जुमे से कौम में दीनी शऊर जाग रहा है, अब यह मुहिम सोशल मीडिया तक पहुंच चुकी है और वाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब आदि द्वारा दीन का संदेश प्रसारित किया जा रहा है। गरीबों और ज़रूरतमंदों की ज़िंदगी के खर्च व इलाज का खर्च, बच्चों की शिक्षा, विवाह और जीवन की अन्य ज़रूरतों के लिए यथासंभव मदद की जाती हैंं।
संस्था तनज़ीमुल मकातिब पूरे देश में 55 वर्षों से सेवा कर रहा है संस्थापक तनज़ीमुल मकातिब खतीबे आज़म मौलाना सय्यद गुलाम अस्करी अस्करी 1968 से 1985 तक संस्था की ज़िम्मेदारी को निभाते रहे उसके बाद 1987 से मौलाना सय्यद सफी हैदर ज़ैदी सचिव के रूप में संस्था की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं।
समाचार कोड: 385557
11 मार्च 2023 - 14:43
हौज़ा/मदरसों से पढ़कर निकलने वाले छात्र सैकड़ों की संख्या में देश और विदेश में धार्मिक सेवाएं अंजाम दे रहे हैं उनकी वजह से आज मेहराब,मेंबर, और मकातिब और मदारीस आबाद हैं।