हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने फरमाया,बहुत से बुज़ुर्गों ने इसी ग़ैबत के दौर में आशिक़ों के दिलों के महबूब उस अज़ीज़ को क़रीब से देखा और उनकी ज़ियारत की है।
बहुत से लोगों ने उनकी बैअत की है। बहुस से लोगों ने उनसे दिल को ख़ुश करने वाली बातें सुनी हैं और बहुत से हैं जिन्होंने उनकी मेहरबानी देखी हैं।
और बहुत से दूसरे लोग हैं जिन्होंने बग़ैर इसके कि उन्हें पहचानें उनकी मोहब्बत, लुत्फ़ व मेहरबानी देखी मगर पहचान नहीं सके हैं।
इस थोपी गयी जंग के मोर्चों पर जिन जवानों ने संवेदनशील लम्हों में अध्यात्म का अनुभव किया, ग़ैब से एक ख़ास लुत्फ़ अपनी ओर महसूस किया लेकिन पहचान न सके, समझ नहीं सके बहुत से हैं और आज भी ऐसा ही है।
इमाम ख़ामेनेई,