हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवालः अगर मस्जिद का कोई हिस्सा विकास परियोजना के दायरे में आकर सड़का का हिस्सा हो जाए और उसका कोई हिस्सा मजबूरन तोड़ना पड़े, तो क्या मस्जिद के टूटे हुए हिस्से पर मस्जिद का हुक्म लागू होगा?
जवाबः अगर उसके अपनी पहली हालत पर वापस आने की संभावना बाक़ी न रहे तो उस पर शरीअत का हुक्म लागू नहीं होगा।