۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/जिस जगह पर मस्जिद है वहाँ ग़ैर मस्जिद के तौर पर ऊपरी मंज़िल या तहख़ाना बनाना शरीअत के लेहाज़ से मुमकिन नहीं है और नया मंज़िला और तहख़ाना भी मस्जिद के ही दायरे में आएगा और उसे किराए पर देना सही नहीं है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल :एक मस्जिद जो वक़्फ़ है और हमें वक़्फ़ करने वाले की नीयत के बारे में पता नहीं है तो क्या मस्जिद के ऊपर एक और मंज़िल बना सकते हैं या मस्जिद के नीचे तहख़ाना बना सकते हैं और उसे किराए पर दे सकते हैं ताकि मस्जिद के लिए आय का एक ज़रिया रहे?

जवाबः जिस जगह पर मस्जिद है वहाँ ग़ैर मस्जिद के तौर पर ऊपरी मंज़िल या तहख़ाना बनाना शरीअत के लेहाज़ से मुमकिन नहीं है और नया मंज़िला और तहख़ाना भी मस्जिद के ही दायरे में आएगा और उसे किराए पर देना सही नहीं है।

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