۸ مهر ۱۴۰۳ |۲۵ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 29, 2024
नजफ

हौज़ा/नजफ अशरफ में आयतुल्लाहिल उज़मा ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से उनके केन्द्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ में ब्रिटेन में स्थित पाकिस्तान के विभिन्न मतों के उलेमा ने हुज्जतुल इस्लाम मौलाना जाफ़र अली नजम साहब के नेतृत्व में मुलाकात की,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नजफ अशरफ में आयतुल्लाहिल उज़मा ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से उनके केन्द्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ में ब्रिटेन में स्थित पाकिस्तान के विभिन्न मतों के उलेमा ने हुज्जतुल इस्लाम मौलाना जाफ़र अली नजम साहब  के नेतृत्व में मुलाकात की,

इस मुलाकात के दौरान नजफ़ अशरफ़ और हौज़ ए इल्मिया नजफ़ अशरफ़ के महत्व और महानता के बारे में मरज ए आली क़द्र और प्रतिनिधिमंडल के बीच चर्चा हुई।

मरज ए आली क़द्र ने कहा कि अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली (अ:स) के जवार में  नजफ़ अशरफ़  के  हौज़ ए इल्मिया का इतिहास बहुत पुराना है बल्कि यह हौज़ात ए इल्मिया की जननी है। इस हौज़ ए इल्मिया नजफ़ अशरफ़ ने मुस्लिम उम्मह की सेवा में कई महान फ़क़ीहों और विद्वान पैदा किए हैं।

इसके अलावा मरज ए आली क़द्र ने (तबलीग़ के ज़्यादा असर अंदाज़ होने के बारे में ) उपदेश की प्रभावशीलता के बारे में पैगंबर (स अ व व  ) की सुन्नत और दृष्टिकोण को समझाया और कहा कि मौखिक उपदेश से अधिक व्यावहारिक उपदेश होना चाहिए,

क्योंकि पैगंबर स.ल.व.व. ने चालीस वर्षों तक चरित्र प्रस्तुत किया और तेईस या चौबीस साल चरित्र के साथ-साथ मौखिक उपदेश भी पेश किया इस तरह, अल्लाह के रसूल स.सल.व.व. ने तिरसठ या चौसठ साल अपना चरित्र प्रस्तुत किया है जिसका नतीजा है कि आज दुनिया के कोने-कोने से मुहम्मद रसूलुल्लाह की आवाज सुनाई दे रही है।

दूसरी ओर उलेमा ने यूरोपीय और पश्चिमी देशों में धर्म के प्रसार के संबंध में अपने प्रयासों का वर्णन किया।
उन उलेमा  ने अपना कीमती समय देने के लिए मरज ए आली क़द्र का तहेदिल से आभार व्यक्त किया।

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