۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
किताब

हौज़ा/हरम ए इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम मशहद ए मुकद्दस की ओर से मरज ए आली क़द्र की किताब"इस्बात विलादत ए इमाम मेंहदी अ.स."का फारसी में अनुवाद और तबाअत, कांफ्रेंस ने किताब में पेश किए गया,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हरम ए इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम मशहद ए मुकद्दस की ओर से मरज ए आली क़द्र दाम जिललो हुल् वारिफ़ की किताब"इस्बात विलादत ए इमाम मेंहदी अ.स."का फारसी में अनुवाद और तबाअत,कांफ्रेंस ने किताब में पेश किए गए हक़ीक़त को आम करने पर ज़ोर दिया,


इस्लामी समाज में मेंहदवीयत कल्चर को बढ़ावा दिया जाए ताकि आने वाली नस्लों के अकायद को और मज़बूत किया जा सके साथ-साथ मोमिनीन को दीनी और मज़हबी अकायद से मुनहरिफ करने की साजिशों को भी नाकाम बनाया जा सके,
हरम ए इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम मशहद ए मुकद्दस और अनवार ए नजफ़ीया फाउंडेशन नजफ़ अशरफ़ कि मदद से हरमे मुकद्दस के रिसर्च सेंटर ने मरज ए मुसलेमिन व जहाने तशय्यो ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी (दाम जिललो हुल् वारिफ़)के दरस और तकरीरों को किताबी सूरत देखकर तैयार की गई अरबी ज़ुबान की किताब( इस्बात ए विलादत ए इमाम मेंहदी अ.स.) का फारसी में तर्जुमा करके मंज़र ए आम किया गया और उसके लिए एक परिचय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया

जिसमें हौज़ा ए इल्मिया मशहद मुकद्दस और रिसर्च सेंटर के प्रमुख,मरज ए आली क़द्र दाम जिललो हुल् वारिफ़ के (मुशीर)सलाहकार अयातुल्लाह शेख़ नाज़िया मुहीद्दीन (दाम जिललोहु)मरज ए मुसलेमिन व जहाने तशय्यो ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी (दाम जिललो हुल् वारिफ़) के बेटें केंद्रीय कार्यालय के प्रमुख और अनवार ए नजफ़ीया फाउंडेशन के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम शेख़ अली नजफ़ी (दाम इज़्ज़ाहू) के अलावा,उलेमा इकराम,हौज़ा ए इल्मिया के शिक्षकों और (मोहक़्केकीन)शोधकर्ताओं ने शिरकत की,

हुज्जतुल इस्लाम शेख़ अली नजफ़ी (दाम इज़्ज़ाहू) ने अपने बयान में हरम ए मुकद्दस के ज़िम्मेदारान का उनकी कोशिशों पर शुक्रिया अदा किया, और इस्लामी समाज में महदवीयत कल्चर को बढ़ावा देने पर ताकीद की,ताकि आने वाली नस्लों के अकायद को और मज़बूत किया जा सके साथ-साथ मोमिनीन को दीनी और मज़हबी अकायद से मुनहरिफ करने की साजिशों को भी नाकाम बनाया जा सके,

गौरतलब है कि किताब ( इस्बात ए विलादत ए इमाम मेंहदी अ.स.,,मरजय आली कद्र दाम जिललो हुल् वरिफ़ के दोरूस और तकरीरों का मजमुआ है साथ-साथ इस किताब में जदीद एतेराज़ात को भी शामिल किया गया हैं,
जिनके उत्तर मरजय आली कद्र दाम जिललो हुल् वरिफ़ ने दिए हैं,उस किताब( पुस्तक) का विभिन्न भाषाओं में (अनुवाद) तर्जुमा भी हो चुका हैं।

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