۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
दिन की हदीस

हौज़ / हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) ने एक रिवायत में एक बहुत ही खास और आकर्षक इबादत की शुरुआत की है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस को "मुसादेकातुल अखवान" पुस्तक से उद्धृत किया गया है। इस परंपरा का पाठ इस प्रकार है:

قال الامام الباقر علیه السلام:

تَبَسُّمُ الرَّجُلِ فِى وَجْهِ اَخيهِ حَسَنَةٌ وَ صَرْفُهُ القَذا عَنهُ حَسَنَةٌ وَ ما عُبِدَاللّه ُ بِشَى ءٍ اَحَبُّ اِلَيْهِ مِنْ اِدْخالِ السُّرُورِ عَلى المُؤمِنِ

हजरत इमाम मुहम्मद बाकिर (अ) ने फ़रमाया:

भाई के सामने हँसना भी एक नेक काम है और अपने धर्म भाई के दु:खों और मुश्किलों को दूर करना भी एक नेक काम है और इसी तरह एक आस्तिक भाई को ख़ुश करना भी एक इबादत है जो न करने से बेहतर है। पूजा की अन्य क्रिया।

मसादेकतुल अखवान, पेज 52

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