हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस "मसादेक़तुल -इखवान" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الباقر علیه السلام:
تَبَسُّمُ الرَّجُلِ فِى وَجْهِ اَخيهِ حَسَنَةٌ وَ صَرْفُهُ القَذا عَنهُ حَسَنَةٌ وَ ما عُبِدَاللّه ُ بِشَى ءٍ اَحَبُّ اِلَيْهِ مِنْ اِدْخالِ السُّرُورِ عَلى المُؤمِنِ
हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) ने फ़रमाया:
किसी इंसान का अपने भाई के सामने मुस्कुराना भी एक नेक काम है और अपने धार्मिक भाई के दुखों और कठिनाइयों को दूर करना भी एक नेक काम है और इसी तरह एक ईमान वाले भाई को खुश करना ऐसी इबादत है कि जिससे बेहतर कोई इबादत नही है।
मसादेक़तुल -इखवान, पेज 52