हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर ने फरमाया,अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन। हम्द के मानी किसी इंसान या किसी मौजूद के इरादे व अख़्तियार से अंजाम दिए गए किसी अमल या उसकी किसी विशेषता पर उसकी तारीफ़ करना है।
अगर किसी में कोई ऐसी ख़ूबी हो जो उसके इरादे व अख़्तियार के तहत न हो तो उस मौक़े पर यह नहीं कहा जाता कि उसकी हम्द की गयी, जैसे अगर हम किसी की ख़ूबसूरती की तारीफ़ करना चाहें तो अरबी ज़बान में यह नहीं कहा जाता कि उसकी हम्द की गयी या किसी ने उसकी ख़ूबसूरती की हम्द की लेकिन किसी की बहादुरी और वीरता की हम्द की जा सकती है या किसी की दानशीलता की हम्द की जा सकती है,
किसी के नेक काम की हम्द की जा सकती है या किसी की उस विशेषता की, जिसे उसने अपने इरादे से अपने भीतर पैदा किया है, हम्द की जा सकती है।
अलहम्द सारी तारीफ़ें और सारी हम्द व सना अल्लाह से मख़सूस है। यह जुमला हमें जो चीज़ समझाता है वह यह है कि सभी भलाइयां, सभी सुंदरताएं और वे सभी चीज़ें जिनकी हम्द की जा सकती है, अल्लाह से मुतअल्लिक़ हैं।
अलहमदो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन में रब्बिल आलमीन का लफ़्ज़, अलहमदो लिल्लाह पर दलालत करता है, सारी तारीफ़ें क्यों अल्लाह से मख़सूस हैं? क्योंकि वह रब्बिल आलमीन, पूरी सृष्टि का चलाने वाला है।