हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,भारत के उत्तरप्रदेश में बाराबंकी के पास मचगावा शरीफ में हज़रत मखदूम शाह सारंग व हज़रत सैय्यद आरिफ अली शाह के दरगाह के निमंत्रण पर अहले बैत की महानता” नामक एक विशेष कार्यक्रम में बांग्लादेश में मौजूद ईरान के सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि डॉ. मोहम्मद मेंहदी मुसवी, नेपाल में मौजूद भारतीय इस्लामिक विद्वान, मौलाना डॉ. ज़ैनुल आबेदीन के साथ, विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए।
वहीं आस्ताना कमेटी और दरगाह शरीफ के कई गणमान्य लोगों ने फूलों से उनका स्वागत किया।
सबसे पहले आस्ताना के सज्जादा नशीन, उनके प्रतिनिधि, दरगाह कमेटी के सदस्यों और भारत के कई दरगाहों के पीर और खादिमों के साथ बैठक में आस्ताना की ओर से मौलाना मंसूर अरेफी ने डॉ. मुसावी का स्वागत किया।
बैठक में डॉ. मुसवी ने भारतीय मुसलमानों की प्रगति और भारत में अहलुल बैत (अ.स.) के आध्यात्मिक जीवन और शिक्षाओं के प्रसार में अवलिया की भूमिका पर बात की,
आस्ताना समिति द्वारा पूरे आस्ताना का दौरा कराया गया और सज्जादा नशीन पीरज़ादी मोहतरमा फ़िरोज़ा और पीर अतीक से विशेष मुलाक़ात कराई गई। सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि अपने अंगरक्षकों और अपने सभी साथियों के साथ दोनों पवित्र आस्ताना पर उपस्थित हुए और फातिहा पढ़ा।
रात्रि 10:00 बजे दरगाह पर उपस्थित हजारों पुरुष और महिला जियारतकारियों को अपने संबोधन में, डॉ. मुसवी ने भारतीय मुसलमानों में एकता, शैक्षिक प्रगति, भारत में सभी धर्मों के बीच भाईचारे काएम और अहलुल-बैत (अ.स.) और औलिया की तरह लोगों की खिदमत की भावना पैदा करने पर जोर दिया। सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि के भाषण का हिंदी में अनुवाद डॉ. ज़ैनुल आबेदीन ने किया।
कार्यक्रम के अंत में, डॉ. मुसवी और डॉ. आबेदीन अस्ताना के विशेष दस्तरखान पर उपस्थित हुए। डॉ. मुसवी को आस्ताना समिति और सज्जादा-नशीन कि और से एक विशेष उपहार दिया गया।
मचगावा शरीफ की दरगाह पर पहली बार बांग्लादेश में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि के आगमन को भारतीय मुसलमानों के बीच एकता के अध्याय और अहलुल-बैत (अ.स.) के प्रेमियों के बीच एकता के अच्छा और अनोखा उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।