۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा | ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने मजलिसो और अज़ादारी के जुलूसों में ढोल (तबल), संझ (झांझ या थाली जैसा वाद्यCymbal) और बिगुल (सिंघा Bugle) के इस्तेमाल म, झांझ और बिगुल के इस्तेमाल से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने मजलिसो और अज़ादारी के जुलूसों में ढोल (तबल), संझ (झांझ या थाली जैसा वाद्यCymbal) और बिगुल (सिंघा Bugle) के इस्तेमाल म, झांझ और बिगुल के इस्तेमाल से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। जो लोग शरई मसाइल मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब का पाठ बयान कर रहे है।

प्रश्नन: मजलिसो और अज़ादारी के जुलूसों में ढोल (तबल), संझ (झांझ या थाली जैसा वाद्यCymbal) और बिगुल (सिंघा Bugle) के इस्तेमाल क्या हुक्म है??

उत्तर। ढोल, झांझ और बिगुल का पारंपरिक और प्रचलित तरीके से उपयोग करने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन इस तरह से नहीं कि दूसरों को परेशान  किया जाए।

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