۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/ ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने अज़ादारी के तवील हो जाने से नमाज़ के कज़ा होने से संबंधित पूछे गए प्रश्न का जबाव दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने अज़ादारी के तवील हो जाने से नमाज़ के कज़ा होने से संबंधित पूछे गए प्रश्न का जबाव दिया है। जो लोग शरई मसाइल मे दिल चिस्पी रखते है हम उनके लिए पूछे गए प्रश्न और उसके जवाब का पाठ प्रस्तुत कर रहे है।

प्रश्न: कुछ मजलिसो और मातमी अंजुमनो मे देर रात तक अज़ादारी होती रहती है, इस प्रकार नमाज़ क़ज़ा होने का कारण बनती है, क्या मज़कूरा अमल जायज़ है?

उत्तर: यह स्पष्ट है कि वाजिब नमाज़, अहले-बैत (अ.स.) की अज़ादारी मे सम्मिलित होने पर प्राथमिकता रखती है, जबकि इन मजलिसो के बहाने से नमाज़ को छोड़ना और क़ज़ा करना जायज़ नही है। हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि मजलिसो और मातमी अंजुमनो के कार्यक्रमों को इस तरह से व्यवस्थित किया जाए कि नमाज़ में बाधा न आए।

शरई अहकाम : अज़ादारी के तवील हो जाने से नमाज़ का क़ज़ा होना 

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