हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قَوْلٌ مَّعْرُوفٌ وَمَغْفِرَةٌ خَيْرٌ مِّن صَدَقَةٍ يَتْبَعُهَا أَذًى وَاللَّـهُ غَنِيٌّ حَلِيمٌ क़ौलुम मारूफ़ुन वा मग़फ़ेरतुम मिन सदाक़तिन यतबओहा अज़ा वल्लाहो ग़नीयुन हलीम (बकरा, 263)
अनुवाद: (प्रश्नकर्ता को) अच्छा उत्तर देना और क्षमा करना दान देने से बेहतर है जिसके बाद (प्रश्नकर्ता को) पीड़ा होती है। और अल्लाह दयालु और क्षमा करने वाला है।
क़ुरआन की तफ़सीर:
1️⃣ एक अच्छी बातचीत और क्षमा उस दान या उपहार से बेहतर है जिसके बाद दर्द होता है।
2️⃣ जरूरतमंदों के साथ गति और बातचीत में अच्छे व्यवहार की आवश्यकता।
3️⃣ जरूरतमंदों की जरूरतों को पूरा करना और उनके पापों को माफ करना जरूरी है।
4️⃣ समाज में लोगों से अच्छी बातचीत करना और उनके रहस्यों पर पर्दा डालना ही मूल्यवान है।
5️⃣ मानव व्यक्तित्व की सुरक्षा और सुरक्षा इस्लाम के बुनियादी मूल्यों में से एक है।
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तफसीर राहनुमा, सूरा ए बकरा