۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | वाणी में ईमानदारी और धैर्य, अल्लाह तआला के समक्ष नम्रता, दान और भोर में क्षमा मांगना पवित्र लोगों के गुणों में से हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
الصَّابِرِينَ وَالصَّادِقِينَ وَالْقَانِتِينَ وَالْمُنفِقِينَ وَالْمُسْتَغْفِرِينَ بِالْأَسْحَارِ  अस साबेरीना वस सादेक़ीना वल क़ानेतीना वल मुंफ़ेक़ीना वल मुसतग़फ़ेरीना बिल असहारे (आले-इमरान, 17)

अनुवाद: ये लोग धैर्यवान (शब्दों और कर्मों में), सच्चे, आज्ञाकारी, ईश्वर के मार्ग में दान करने वाले और भोर में क्षमा मांगने वाले होते हैं।

कु़रआन की तफसीर:

1️⃣ वाणी में ईमानदारी और धैर्य, अल्लाह तआला के समक्ष विनम्रता, दान और भोर में क्षमा मांगना पवित्र लोगों के गुणों में से हैं।
2️⃣ इस्लाम में नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संबंध।
3️⃣ तक़वे का लाज़्मा अच्छे सामाजिक स्वभाव और अच्छे संस्कारों का होना है।
4️⃣ सुबह का समय अल्लाह ताला से गुनाहों की माफी मांगने का सबसे अच्छा समय है।
5️⃣ दुआ की स्वीकृति कभी-कभी अन्य समय से बेहतर होती है।
6️⃣ सतत जागना धर्मात्माओं का अभ्यास रहा है।
7️⃣ सुह्र के समय 70 बार माफ़ी मांगना नेक लोगों का दस्तूर है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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